2018 में तालाब की दुर्गंध ने तुलसी के राम को पहुंचा दिया था हॉस्पिटल
वाराणसी। सफाई में वाराणसी को पहले पायदान पर लाने की कवायद के लिए नगर निगम द्वारा अभियान चलाया गया। जमकर ढिंढोरा पीटा गया कि डोर टू डोर कचरा कलेक्शन से शहर साफ सुथरा हो जाएगा। कहीं भी कचरे का ढेर नजर नहीं आएगा पर नगर निगम प्रशासन के दावों की हवा निकल गई है। शहर के पीलीकोठी स्थित पौराणिक धनेसरा कुंड में कचरे का अम्बार लगा है। कचरे का ढेर, बजबजाती गंदगी के आगे निगम प्रशासन की दोहरी सफाई व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है।
शिव की नगरी राममय हो गई है। 16वीं शताब्दी संत गोस्वामी तुलसीदास के समय से चली आ रही लाटभैरव रामलीला का शुभारंभ हो गया है। तो वहीं, रामलीला के आयोजकों ने पीलीकोठी स्थित धनेसरा तालाब (धन धानेश्वर कुंड) की साफ-सफाई व कुंड में पानी न होने को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। आदि लाटभैरव रामलीला के व्यास आचार्य पंडित दयाशंकर त्रिपाठी ने कहा कि शहर की सबसे प्राचीन रामलीला स्थल का हाल बेहाल है।
उन्होंने कहा कि 2018 में इसी धनेसरा तालाब की भीषण दुर्गंध ने रामलीला के राम, लक्ष्मण व सीता को हॉस्पिटल पहुंचा दिया था। उस समय नगर निगम के अफसरों ने रामलीला कमेटी को आश्वासन दिया था, धनेसरा कुंड की निर्माण के बाद उसमें साफ पानी भरवाया जाएगा। लेकिन आजतक न तो कुंड का निर्माण हुआ न ही पानी भरवाया गया। जिस नगर निगम की जिम्मेदारी कुंड की साफ सफाई करने की थी, उसी ने धनेसरा कुंड के चारों ओर बजबजाते कूड़े व मलबा पाट दिया है। ऐसे में 500 वर्षों से चली आ रही रामलीला पर इस साल संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उन्होंने नगर निगम के अफसरों से धनेसरा कुंड की साफ सफाई कराने के बाद उसमें साफ पानी भरवाने की अपील की है।
रामलीला के प्रधानमंत्री एडवोकेट कन्हैयालाल यादव ने बताया कि धनेसरा कुंड में राम घण्ड़ईल व केवट संवाद लीला का मंचन किया जाता है। कुंड में जब पानी ही नहीं होगा तो उसमें नाव कैसे चलेगी। उन्होंने बताया कि कुबेर का बनाया धनेसरा तालाब जहां स्नान करने से मनुष्य को दरिद्रता से मुक्ति मिलती थी लेकिन मौजूदा हालात ऐसे हैं कि तालाब ही दरिद्रता का शिकार हो गया है। यह तालाब नाले व कूड़ो-कचरों से तबाह हो रहा है। बावजूद नगर निगम के अफसर सुधि नहीं ले रहे हैं।