वाराणसी, 26 मई 2025, सोमवार। वाराणसी, भारत का प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र, हाल ही में एक सनसनीखेज जासूसी मामले के कारण सुर्खियों में है। यहां गिरफ्तार जासूस तुफैल ने एक खतरनाक साजिश का पर्दाफाश किया है, जिसके तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े हैं। पाकिस्तानी सेना के एक अफसर की पत्नी नफीसा ने उत्तर प्रदेश के कई शहरों में एक गुप्त नेटवर्क फैलाया, जिसमें सैकड़ों युवाओं को कट्टरता और जासूसी के लिए उकसाया गया। यह कहानी न केवल एक जासूसी नेटवर्क की है, बल्कि धार्मिक भावनाओं के दुरुपयोग और हनीट्रैप की खतरनाक रणनीति की भी है।
नफीसा का नेटवर्क: यूपी में जड़ें, पाकिस्तान से साजिश
एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) की जांच में खुलासा हुआ कि नफीसा ने वाराणसी, लखनऊ, बरेली, कन्नौज, मुरादाबाद और रामपुर जैसे शहरों में अपने नेटवर्क का जाल बिछाया। तुफैल इस नेटवर्क का मुख्य कर्ताधर्ता था, जो मस्जिदों और मजलिसों के बहाने युवाओं को नफीसा से जोड़ता था। नफीसा की फ्रेंड लिस्ट में 240 भारतीय युवा शामिल थे, जिनमें से यूपी के छह युवाओं से वह नियमित रूप से चैट, वॉयस और वीडियो कॉल के जरिए संपर्क में थी।
नफीसा की रणनीति साफ थी—वह धार्मिक भावनाओं को भड़काकर युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर ले जाती थी। वह कहती थी, “तुम भारत में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार का बदला लो। बाबरी को भूल जाओगे क्या?” इस तरह वह बाबरी मस्जिद विध्वंस जैसे संवेदनशील मुद्दों का सहारा लेकर युवाओं को उकसाती थी।
तुफैल: नफीसा का पहला शिकार
तुफैल, जो वाराणसी के गोल गड्डा इलाके में एक मदरसे में पढ़ाई कराता था, नफीसा का पहला शिकार बना। करीब 14 साल पहले उसने पढ़ाई छोड़ दी और मजलिसों में जाना शुरू किया। नफीसा ने तुफैल का ब्रेनवॉश कर उसे बाबरी मस्जिद का समर्थक बनाया और बदला लेने के लिए उकसाया। तुफैल ने नफीसा की बातों में आकर मस्जिदों और मदरसों में युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ना शुरू किया। वह तहरीक-ए-ब्लैक पाकिस्तान के नेता मौलाना साद रिजवी की तकरीरें सुनाता और खुद भी ऐसी तकरीरें देता था।
तुफैल के जरिए नफीसा ने यूपी के कई शहरों में अपने नेटवर्क का विस्तार किया। वह युवाओं को सोशल मीडिया के जरिए पहले धार्मिक भावनाओं से जोड़ती, फिर उन्हें जासूसी के लिए प्रेरित करती। नफीसा ने तुफैल को पाकिस्तान के अलग-अलग वॉट्सऐप ग्रुप्स में शामिल करवाया, जहां एक पाकिस्तानी हैंडलर भी सक्रिय था।
जासूसी का खतरनाक खेल
नफीसा की चालाकी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह युवाओं से उनके शहरों की जानकारी, फोटो और वीडियो मांगती थी। वह वीडियो कॉल के जरिए इन जगहों को देखती और संवेदनशील जानकारी जुटाती थी। एटीएस को शक है कि यह जानकारी वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई तक पहुंचा रही थी। नफीसा ने तुफैल से वाराणसी समेत यूपी के कई शहरों की मशहूर इमारतों और स्थानों का डेटा मांगा। तुफैल ने न केवल यह जानकारी दी, बल्कि नफीसा के लिए गिफ्ट भी भेजे, जिनके रास्ते और एजेंसियों की जांच अब एटीएस कर रही है।
सोशल मीडिया पर भड़काऊ कंटेंट
तुफैल अपने वॉट्सऐप ग्रुप्स में भड़काऊ संदेश लिखता था। वह दावा करता था कि “पाकिस्तान ही नहीं, पूरी दुनिया को इस्लाम और शरिया कानून ही सही राह दिखा सकता है।” बाबरी विध्वंस के विरोध में वह वीडियो शेयर करता और कहता, “जो सच्चा मुसलमान है, वह इस अन्याय को कभी नहीं भूलेगा।” तुफैल और नफीसा अपनी चैट और कॉल डिटेल्स डिलीट कर देते थे, लेकिन एटीएस ने तुफैल के मोबाइल बैकअप से 70% डेटा रिकवर कर लिया है। इस डेटा में नफीसा की तस्वीरें और कुछ संवेदनशील चैट शामिल हैं, जिन्हें अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
एटीएस की कार्रवाई और आगे की जांच
वर्तमान में तुफैल लखनऊ की जेल में बंद है और एटीएस उसकी रिमांड की तैयारी कर रही है। मंगलवार को रिमांड मंजूर होने की उम्मीद है, जिसके बाद तुफैल के पांच करीबी लोगों से पूछताछ होगी। एटीएस ने 19 वॉट्सऐप ग्रुप्स के पांच मोबाइल नंबरों को चिह्नित किया है, जिनसे तुफैल और नफीसा सबसे ज्यादा बात करते थे। इसके अलावा, तुफैल की डायरी, किताबें और मोबाइल की जांच से कई अहम सुराग मिले हैं। एटीएस उन दुकानों की भी जांच करेगी, जहां से तुफैल ने नफीसा के लिए गिफ्ट खरीदे थे।
हनीट्रैप और स्लीपर सेल की साजिश
यह मामला केवल जासूसी तक सीमित नहीं है। नफीसा जैसी पाकिस्तानी महिलाएं हनीट्रैप के जरिए भारतीय युवाओं को फंसाती हैं और फिर उन्हें धार्मिक उन्माद और गजवा-ए-हिंद जैसे विचारों से भड़काती हैं। यह नेटवर्क हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के युवाओं को टारगेट करता है। कभी धार्मिक भावनाओं का सहारा लिया जाता है, तो कभी नाम बदलकर जानकारियां जुटाई जाती हैं। यह सब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के लिए किया जाता है।
क्या सिर्फ यूपी तक सिमटा नफीसा का जाल, या देशभर में फैली हैं इसकी साजिश की जड़ें?
तुफैल की गिरफ्तारी ने भारत में जासूसी और स्लीपर सेल तैयार करने की एक बड़ी साजिश का खुलासा किया है। नफीसा के नेटवर्क ने यूपी के युवाओं को निशाना बनाकर न केवल धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश की, बल्कि संवेदनशील जानकारी भी जुटाई। एटीएस की सक्रियता और तुफैल के मोबाइल डेटा ने इस साजिश को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई है। अब सवाल यह है कि क्या नफीसा का नेटवर्क केवल यूपी तक सीमित था, या इसके तार देश के अन्य हिस्सों तक फैले हैं? एटीएस की जांच इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है, और आने वाले दिनों में इस साजिश के और भी खुलासे होने की उम्मीद है।