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Sunday, July 6, 2025

वाराणसी स्मार्ट सिटी का ‘स्मार्ट’ सपना चकनाचूर: 10 करोड़ की राख में जवाबदेही की तलाश!

वाराणसी, 6 जुलाई 2025: वाराणसी में स्मार्ट सिटी के तहत शुरू हुई एक महत्वाकांक्षी परियोजना अब धूल में मिल चुकी है। लहरतारा-चौकाघाट फ्लाईओवर के नीचे बना बहुचर्चित नाइट बाजार, जिसे शहर का नया चेहरा बनाना था, मात्र तीन साल में ध्वस्त हो गया। 10 करोड़ रुपये की लागत से बनी 120 से अधिक दुकानें 4 जुलाई 2025 को नगर निगम और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में जमींदोज कर दी गईं। यह नजारा न केवल एक परियोजना की असफलता को दर्शाता है, बल्कि शहर के विकास मॉडल, प्रशासनिक जवाबदेही और योजनाओं की सत्यनिष्ठा पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

नाइट बाजार: सपनों का बाजार जो हकीकत में ढहा

2022 में शुरू हुई यह परियोजना ‘अर्बन प्लेसमेकिंग’ की चमक के साथ लॉन्च की गई थी। इसका उद्देश्य था वाराणसी को एक आधुनिक, जीवंत और पर्यटक-अनुकूल शहर के रूप में स्थापित करना। मेसर्स श्रेया इंटरप्राइजेज को 16 साल के लिए इस बाजार के संचालन और रखरखाव का जिम्मा सौंपा गया। लेकिन तीन साल में ही यह परियोजना लापरवाही, कुप्रबंधन और अनुबंध उल्लंघन की भेंट चढ़ गई।

नगर निगम के अनुसार, फर्म ने अनुबंध की शर्तों को ताक पर रखा। नियमित सफाई, कूड़ा प्रबंधन और यातायात सुरक्षा जैसे बुनियादी प्रावधानों की अनदेखी की गई। रेलिंग काटकर अनधिकृत यू-टर्न बनाए गए, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया। निर्धारित से अधिक दुकानें आवंटित कर अतिरिक्त कमाई की गई, जबकि अनुबंध के तहत नगर निगम को 1.2 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन फर्म ने केवल 5 लाख रुपये दिए। नतीजा? अनुबंध रद्द और फर्म के खिलाफ IPC की धारा 316(2) के तहत FIR।

कौन है जिम्मेदार?

इस परियोजना की विफलता ने कई सवाल खड़े किए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह कि 10 करोड़ रुपये की बर्बादी का जिम्मेदार कौन? वाराणसी स्मार्ट सिटी के तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक डा. डी. वासुदेवन इस परियोजना के प्रमुख सूत्रधार थे। उनके नेतृत्व में प्रोजेक्ट डिजाइन और लागू किया गया। लेकिन अनुबंध उल्लंघन और खामियों पर स्मार्ट सिटी प्रशासन की चुप्पी ने इसकी नींव कमजोर की। क्या फर्म की विश्वसनीयता की जांच की गई थी? क्या अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई? और सबसे अहम, व्यापारियों की आर्थिक क्षति की भरपाई कौन करेगा?

छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह ने इसे व्यापारियों पर ‘सीधा हमला’ करार दिया। उन्होंने कहा, “नगर निगम और स्मार्ट सिटी ने खुद टेंडर देकर दुकानें आवंटित कीं और अब बिना वैकल्पिक व्यवस्था के उन्हें उजाड़ दिया। यह आजीविका पर प्रहार और विश्वासघात है।” उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।

नया दृष्टिकोण: हरित और पर्यटक-अनुकूल भविष्य

नाइट बाजार की असफलता के बाद अब नगर निगम ने इस क्षेत्र को नया रूप देने की योजना बनाई है। लहरतारा-चौकाघाट फ्लाईओवर के नीचे का हिस्सा अब पैदल यात्री-अनुकूल कॉरिडोर के रूप में विकसित होगा। राहगीरी फाउंडेशन के साथ एमओयू साइन हो चुका है। इस नए प्रोजेक्ट में पाथवे, बैठने की व्यवस्था, ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशन, डेकोरेटिव लाइट्स, हॉर्टिकल्चर और वेस्ट मैनेजमेंट जैसे कार्य शामिल हैं।

नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने बताया, “यह परियोजना श्रद्धालुओं, पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों को शहर में प्रवेश करते ही सकारात्मक अनुभव देगी।” प्रस्ताव तैयार है और जल्द ही काम शुरू होगा।

आगे की राह

नाइट बाजार की असफलता एक सबक है। यह बताता है कि बिना जवाबदेही और पारदर्शिता के कोई भी परियोजना दीर्घकालिक नहीं हो सकती। अब जरूरत है कि स्मार्ट सिटी प्रशासन अपनी गलतियों से सीखे और भविष्य में ऐसी विफलताओं को रोके। व्यापारियों के नुकसान की भरपाई, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई और पारदर्शी प्रक्रिया ही इस विश्वासघात को सुधार सकती है।

वाराणसी का यह नया कदम, हरित और पर्यटक-अनुकूल विकास की दिशा में एक उम्मीद की किरण है। लेकिन सवाल अब भी वही है: क्या इस बार जवाबदेही तय होगी? क्या शहर का यह नया सपना हकीकत बन पाएगा? समय ही इसका जवाब देगा।

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