वाराणसी, 4 जुलाई 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नाइट मार्केट’, जो वाराणसी की सांस्कृतिक धरोहर को रात में जगमगाने के लिए शुरू किया गया था, अब बंद होने की कगार पर है। वाराणसी नगर निगम ने नियमों के उल्लंघन और अनियमितताओं का हवाला देते हुए इस बाजार को बंद करने का फैसला किया है। लहरतारा-चौकाघाट फ्लाईओवर के नीचे फैला यह 1.9 किमी लंबा बाजार, जो वाराणसी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा था, अब खाली कराया जा रहा है।
25 दुकानें खाली, बाकियों को 48 घंटे की मोहलत
नगर निगम ने बुधवार को अंधरापुल से बस स्टेशन तक 25 दुकानों को खाली करा लिया। बाकी दुकानदारों को 48 घंटे के भीतर दुकानें खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया है। नगर आयुक्त अक्षत वर्मा के नेतृत्व में अतिरिक्त नगर आयुक्त संगम लाल, सहायक नगर आयुक्त अनिल यादव और प्रवर्तन टीम के प्रभारी कर्नल संदीप शर्मा ने यह कार्रवाई की। इस दौरान दुकानदारों के विरोध का भी सामना करना पड़ा, लेकिन नगर निगम ने सख्त रुख अपनाते हुए सभी दुकानों को जल्द खाली करने की चेतावनी दी।
क्यों लिया गया बंद का फैसला?
नगर निगम का कहना है कि नाइट मार्केट को संचालित करने वाली श्रेया कंपनी ने नियमों का पालन नहीं किया। कई नोटिस जारी करने के बावजूद दुकानदारों ने दुकानें खाली नहीं कीं। कैंट रेलवे स्टेशन से बस स्टेशन तक फैले इस बाजार में गंदगी, ट्रैफिक जाम और अवैध गतिविधियों की शिकायतें बढ़ रही थीं। नतीजतन, कंपनी का ठेका रद्द कर दुकानों को अवैध घोषित कर दिया गया।
PM का था खास प्रोजेक्ट
7 जुलाई 2022 को पीएम मोदी ने 1,800 करोड़ रुपये के विकास कार्यों के उद्घाटन के दौरान इस नाइट मार्केट का शुभारंभ किया था। इसका मकसद वाराणसी की कला, संस्कृति और स्थानीय उत्पादों को रात में भी पर्यटकों तक पहुंचाना था। फ्लाईओवर के नीचे सजी दीवारों पर बनारसी कला की छाप, मनोरंजन की सुविधाएं और स्थानीय दुकानदारों के लिए रोजगार का वादा इस प्रोजेक्ट को खास बनाता था। लेकिन तीन साल बाद यह सपना चूर होता दिख रहा है।
दुकानदारों का दर्द: ‘गरीबों के सपनों का खून’
वाराणसी छावनी बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष शेलेन्द्र सिंह ने पीएम मोदी और सीएम योगी से नाइट मार्केट को बचाने की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा, “यह प्रोजेक्ट गरीब स्ट्रीट वेंडर्स को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू हुआ था, लेकिन प्रशासन और प्राइवेट एजेंसी की लापरवाही ने इसे दुःस्वप्न बना दिया।” उन्होंने बताया कि दुकानदारों ने समय पर किराया और बिजली बिल चुकाए, फिर भी उन्हें बेघर किया जा रहा है। सिंह ने इस मामले की गहन जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
आगे क्या?
नगर निगम का कहना है कि 48 घंटे की मोहलत खत्म होने के बाद बाकी दुकानें भी खाली करा ली जाएंगी। इस फैसले ने न केवल दुकानदारों बल्कि स्थानीय लोगों में भी नाराजगी पैदा की है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या पीएम का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सिर्फ लापरवाही का शिकार हो गया, या इसके पीछे कोई और कहानी है? फिलहाल, वाराणसी का नाइट मार्केट अपने अंतिम पड़ाव पर है, और इसके साथ ही कई गरीब दुकानदारों के सपने भी टूट रहे हैं।