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Sunday, June 29, 2025

Varanasi News: काशी के मणिकर्णिका श्मशान घाट पर खेली गई भस्म की होली

वाराणसी
भोले की नगरी काशी पूरी दुनिया में अनूठी है। यहां की परंपराएं भी अलग और अनोखी हैं। पूरी दुनिया में श्मशान घाटों पर मातम पसरा होता है। लेकिन काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर इस मातम के बीच चिता के भस्म से होली खेली जाती है। मान्यता है कि काशी के महाश्मशान घाट पर होने वाले मसाने की होली में बाबा विश्वनाथ दिगम्बर रूप में अपने भक्तों संग होली खेलते हैं।

रंगभरी एकादशी के अगले दिन यानी गुरुवार को काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शिव के अड़भंगी भक्तों ने चिता के भस्म के साथ अबीर गुलाल की अनोखी होली खेली। काशी के महाश्मशान पर होने वाली इस होली में दाह संस्कार में आए लोग भी मातम को भूल मस्ती में डूबे दिखे।

घंटा, घड़ियाल, डमरू के डम-डम की आवाज और शंख के मंगलध्वनि के बीच भक्तों के हर-हर महादेव के जयघोष से श्मशान घाट गूंजता रहा। काशी के महाश्मशान पर होने वाली इस अनोखी होली से पहले बाबा मशाननाथ की विशेष पूजा और आरती हुई। उसके बाद पूरा श्मशान होली की मस्ती में सराबोर दिखा।

ये है परम्परा

मान्यताओं के मुताबिक, रंगभरी एकादशी पर गौरा के विदाई के बाद बाबा विश्वनाथ अपने बारातियों के साथ काशी के महाश्मशान में होली खेलने आते हैं। गुलशन कपूर ने बताया कि आज भी भगवान शंकर काशी के इस महाश्मशान में अदृश्य रूप में आते हैं और अपने गणों के साथ होली खेलते हैं।

हरिश्चन्द्र घाट पर भी खेलते हैं होलीमणिकर्णिका घाट के अलावा वाराणसी के श्मशान हरिश्चंद्र घाट पर भी भस्म की होली का आयोजन होता है। यहां रंगभरी एकादशी के दिन ही भस्म की होली खेली जाती है। दोनों ही घाटों पर मसाने की होली का अद्भुत नजारा होता है। जिसे देखने के लिए दूर- दूर से लोग काशी आते हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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