वाराणसी, 20 जुलाई 2025: जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने रविवार को वाराणसी मानसिक चिकित्सालय का औचक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की गहन पड़ताल की। इस दौरान उन्होंने न केवल चिकित्सा सुविधाओं, बल्कि मरीजों के प्रति भाषा और व्यवहार में संवेदनशीलता पर जोर दिया। डीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए कि “कोठारी”, “लॉकअप” और “जंगी वार्ड” जैसे असंवेदनशील शब्दों का प्रयोग तत्काल बंद हो, और इसके लिए शासन को पत्र भेजा जाए।
निरीक्षण की प्रमुख बातें
जिलाधिकारी ने चिकित्सालय के निदेशक और प्रमुख अधीक्षक डॉ. प्रकाश चंद मल्ल से मरीजों की संख्या, इलाज, भोजन, आवास और चिकित्सा रिकॉर्ड की विस्तृत जानकारी ली। साफ-सफाई और बेड-चादरों की व्यवस्था पर संतोष जताते हुए उन्होंने हर वार्ड में इमरजेंसी लाइट लगाने का आदेश दिया।
सुरक्षा पर विशेष ध्यान
गार्ड रूम का जायजा लेते हुए डीएम ने निर्देश दिए कि अस्पताल में आने-जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति की एंट्री रजिस्टर में अनिवार्य रूप से दर्ज हो। बिना रिकॉर्ड के किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाए। फैमिली वार्ड में नर्सों से संवाद कर मरीजों के गार्जियन की जानकारी और पहचान पत्र अनिवार्य करने के निर्देश भी दिए गए।
ओपीडी और टेलीमानस सेवाओं की सराहना
चिकित्सालय की बाह्य रोगी (ओपीडी) व्यवस्था, जिसमें अलग कक्ष, बैठने की सुविधा, पेयजल और शौचालय उपलब्ध हैं, की डीएम ने प्रशंसा की। टेलीमानस के जरिए दी जा रही काउंसिलिंग सेवाओं को भी सराहा गया।
नए वार्ड और मेडिकल कॉलेज की प्रगति
डीएम ने चिकित्सालय में निर्माणाधीन नए वार्ड और प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज की प्रगति का भी जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए।
निरीक्षण में ये रहे मौजूद
निरीक्षण के दौरान एडीएम सिटी आलोक वर्मा, सिटी मजिस्ट्रेट रविशंकर सिंह, निदेशक डॉ. प्रकाश चंद मल्ल, सीएमएस (जिला अस्पताल) सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदना जरूरी
जिलाधिकारी ने कहा, “मानसिक स्वास्थ्य संस्थान केवल इलाज का केंद्र नहीं, बल्कि संवेदना और सम्मान का स्थान होना चाहिए।” उनकी इस पहल को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।