वाराणसी, 11 अगस्त 2025: गंगा नदी के घटते जलस्तर के साथ ही वाराणसी के घाटों और तटवर्ती इलाकों में सिल्ट और कचरे के ढेर को हटाने के लिए नगर निगम ने युद्धस्तर पर सफाई अभियान छेड़ दिया है। नगर आयुक्त अक्षत वर्मा और महापौर अशोक तिवारी के नेतृत्व में यह अभियान 24 घंटे संचालित हो रहा है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को संक्रामक रोगों के खतरे से बचाना है।
नगर निगम की टीमें रात-दिन जुटीं
नगर आयुक्त अक्षत वर्मा के सख्त निर्देशों के बाद नगर निगम की टीमें सूजाबाद-डोमरी से लेकर सामने घाट तक सिल्ट की सफाई, कीटनाशक छिड़काव और फॉगिंग के कार्य में जुटी हुई हैं। इस अभियान में मणिकर्णिका घाट, दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, अस्सी घाट, कोनिया और ढ़ेलवारिया जैसे प्रमुख घाटों और आसपास की बस्तियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अपर नगर आयुक्त सविता यादव ने बताया कि सिल्ट हटाने के साथ-साथ सोडियम हाइपोक्लोराइड, चूना और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है, ताकि रोगाणुओं के प्रसार को रोका जा सके।
राहत शिविरों से लौट रहे लोग, सफाई पर विशेष जोर
बाढ़ के कारण विस्थापित हुए लोग अब राहत शिविरों से अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं। ऐसे में शीतला घाट और आसपास की बस्तियों में कचरे का तत्काल निस्तारण और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। नगर निगम ने यह सुनिश्चित किया है कि बाढ़ के बाद जमा हुए कचरे और गंदगी से उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को न्यूनतम किया जाए।
नगर आयुक्त का संकल्प: “सफाई पूरी होने तक कोई ढील नहीं”
नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने इस अभियान को लेकर स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा, “जब तक घाटों और तटवर्ती क्षेत्रों की सफाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक नगर निगम की टीमें 24 घंटे कार्यरत रहेंगी। संक्रामक रोगों से बचाव हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस अभियान में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
नागरिकों का सहयोग और अपील
सफाई अभियान के दौरान स्थानीय नागरिकों और घाटों पर आने वाले श्रद्धालुओं से भी सहयोग की अपील की गई है। नगर निगम ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे घाटों पर कचरा न फेंकें और सफाई कर्मियों के कार्य में सहयोग करें। साथ ही, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सतर्कता बरतने और स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी गई है।
गंगा की स्वच्छता और वाराणसी की शान
गंगा नदी और इसके घाट वाराणसी की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं। बाढ़ के बाद घाटों पर जमा सिल्ट और कचरे ने इस पवित्र स्थल की सुंदरता को प्रभावित किया था, लेकिन नगर निगम की तत्परता और इस अभियान की गति से एक बार फिर घाट अपनी पुरानी रंगत में लौटने को तैयार हैं। यह अभियान न केवल स्वच्छता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वाराणसीवासियों और श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा कदम है।
नगर निगम का यह प्रयास निश्चित रूप से शहर को स्वच्छ, सुरक्षित और सुंदर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।