लखनऊ, 11 मई 2025। उत्तर प्रदेश अब केवल संस्कृति और इतिहास का प्रतीक नहीं, बल्कि भारत की डिफेंस आत्मनिर्भरता का नया केंद्र बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लखनऊ में साकार किया है। रविवार को उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड पर देश की पहली निजी अत्याधुनिक टाइटेनियम और सुपर एलॉय निर्माण सुविधा का उद्घाटन हुआ। साथ ही, ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन और टेस्टिंग फैसिलिटी की शुरुआत ने इसे और ऐतिहासिक बना दिया। यह न केवल एक निर्माण इकाई है, बल्कि भारत के रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक है।
विश्वस्तरीय निर्माण इकाइयों की नई शुरुआत
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में चार नई विश्वस्तरीय निर्माण इकाइयों का शिलान्यास हुआ। इनमें शामिल हैं:
- एयरोस्पेस प्रिसीजन कास्टिंग प्लांट, जो जेट इंजन और एयरक्राफ्ट सistम्स के लिए महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स बनाएगा।
- एयरोस्पेस फोर्ज शॉप एंड मिल प्रोडक्ट्स प्लांट, जहां टाइटेनियम और सुपर एलॉय से बार्स, रॉड्स और शीट्स तैयार होंगे।
- एयरोस्पेस प्रिसीजन मशीनिंग शॉप, जो जेट इंजन के सूक्ष्म घटकों की मशीनिंग करेगा।
- स्ट्रैटेजिक पाउडर मेटलर्जी फैसिलिटी, जो स्वदेशी तकनीक से टाइटेनियम और सुपर एलॉय मेटल पाउडर का निर्माण करेगी।
यहां स्थापित भारत की पहली टाइटेनियम रीमेल्टिंग और रीसाइक्लिंग सुविधा वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी एकल क्षमता वाली इकाई है। यह भारत को रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
स्ट्राइड एकेडमी: स्किल और रिसर्च का नया केंद्र
इस परिसर में स्थापित स्ट्राइड एकेडमी युवाओं को रक्षा और एयरोस्पेस तकनीक में प्रैक्टिकल प्रशिक्षण देगी, जबकि रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर स्वदेशी तकनीकों, मैटेरियल इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रियाओं को बढ़ावा देगा। एयरोलॉय ने यूके की ‘ट्रैक प्रिसीजन सॉल्यूशंस’ के अधिग्रहण की घोषणा की, जो जेट इंजन के क्रिटिकल कंपोनेंट्स में विशेषज्ञता रखती है। इस अधिग्रहण से भारत को वैश्विक तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा।
‘नया पोखरण’: ब्रह्मोस मिसाइल का गौरव
27 साल पहले 11 मई 1998 को पोखरण में परमाणु परीक्षण ने भारत की ताकत दुनिया को दिखाई थी। उसी तारीख को लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल प्रोडक्शन की शुरुआत ने इतिहास रच दिया। उत्तर भारत में पहली बार ऐसी हाई-एंड मिसाइल निर्माण सुविधा स्थापित हुई है। डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत अब तक पांच यूनिट्स उत्पादन शुरू कर चुकी हैं, और दो नई यूनिट्स इसमें जुड़ गई हैं। यह तेजी आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को दर्शाती है।
आत्मनिर्भरता से वैश्विक निर्यात तक
भारत हर साल रक्षा पर 6.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करता है, जिसमें 2.5 लाख करोड़ रुपये का आयात शामिल है। मोदी-योगी सरकार का लक्ष्य अब इन उपकरणों को स्वदेश में बनाना और वैश्विक बाजार में निर्यात बढ़ाना है। उत्तर प्रदेश का यह नया डिफेंस हब न केवल आयात को कम करेगा, बल्कि भारत को रक्षा उत्पादन में वैश्विक नेता बनाने की दिशा में भी अग्रसर करेगा।
उत्तर प्रदेश की यह उपलब्धि न केवल तकनीकी, बल्कि आर्थिक और सामरिक दृष्टि से भी गेम-चेंजर है। योगी सरकार की दूरदर्शिता और केंद्र के सहयोग से यूपी अब भारत की डिफेंस आत्मनिर्भरता का चमकता सितारा बन चुका है।