लखनऊ, 24 नवंबर 2024, रविवार। उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी और उसकी सहयोगी RLD ने मिलाकर कुल 7 सीटों पर कब्जा जमाया है, जबकि समाजवादी पार्टी सिर्फ 2 सीटें जीत सकी है। यह परिणाम बीजेपी के लिए एक बड़ी जीत है, और यह दर्शाता है कि पार्टी की रणनीति और नेतृत्व की क्षमता को लोगों ने स्वीकार किया है। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों मीरापुर, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, करहल, सीसामऊ, फूलपुर, कटेहरी और मझवां पर 20 नवंबर को वोट डाले गए थे। इनमें से अधिकांश सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है, जो पार्टी की मजबूती को दर्शाता है। यह परिणाम अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी के लिए भी एक बड़ा सबक है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में पहली बार फायदे का सौदा साबित हुई थी।
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शानदार प्रदर्शन किया है। यह उपचुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए एक लिटमस टेस्ट था, जिसमें उन्होंने अपनी राजनीतिक क्षमता और नेतृत्व का प्रदर्शन किया है। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की नौ में से सात सीटों पर जीत हासिल की है, जो योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक क्षमता का प्रमाण है। यह जीत न केवल योगी आदित्यनाथ के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी का वर्चस्व बना हुआ है। यह उपचुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए एक बड़ा परीक्षण था, क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे थे। अगर योगी इस टेस्ट में फेल हो जाते तो उनकी कुर्सी हिल सकती थी और योगी के सिंहासन को हिलाते डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य। लेकिन इस उपचुनाव में बीजेपी की जीत ने योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक क्षमता को एक बार फिर साबित किया है।
उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में बीजेपी की जीत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विश्वसनीयता को मजबूत किया है, लेकिन केशव प्रसाद मौर्य के लिए यह जीत उतनी खुशी की नहीं हो सकती है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद, केशव प्रसाद मौर्य ने सीएम की कुर्सी पाने के प्रयास तेज कर दिए थे। अब उपचुनाव में बीजेपी की जीत से योगी आदित्यनाथ की स्थिति मजबूत हुई है, जिससे केशव प्रसाद मौर्य के लिए सीएम की कुर्सी पाना मुश्किल हो सकता है।
उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विश्वसनीयता को मजबूत किया है। यह जीत योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व का परिणाम है, जिन्हें चुनावों में भाजपा को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कुछ चुनावी पंडितों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ को अल्टीमेटम दिया गया था कि अगर उनके नेतृत्व में भाजपा घटिया प्रदर्शन करती है तो उन्हें सत्ता की चाबी केशव प्रसाद मौर्य को सौंपनी होगी। लेकिन उनकी इस जीत ने बता दिया कि यूपी में मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी विश्वसनीयता उत्तर प्रदेश में अभी भी कायम है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “अब, वह (योगी) स्वतंत्र रूप से काम करेंगे। अब कम से कम अंदरूनी लोगों की ओर से कोई बाधा नहीं आएगी।” यह जीत योगी आदित्यनाथ के लिए एक बड़ी जीत है, और यह भी दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का वर्चस्व बना हुआ है।