पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर ‘डिजीज एक्स’ ट्रेंड कर रहा है। यह अज्ञात बीमारी इन दिनों काफी चर्चा में है, रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि संभवत: यह नई महामारी का संकेत भी हो सकती है। फिलहाल अब तक यह ज्ञात नहीं है कि कौन से वायरस या रोगजनक के कारण यह बीमारी हो सकती है, क्या यह भी जानवरों से मनुष्यों में खतरा बनेगी और शायद एक और महामारी का कारण रूप भी ले सकती है?इस अज्ञात और अप्रत्याशित महामारी के लगातार बढ़ते खतरे के बीच ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने इससे निपटने के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूके में 200 से अधिक वैज्ञानिकों की टीम ने इसके लिए वैक्सीन पर काम भी शुरू कर दिया है। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी और वैक्सीन निर्माताओं का कहना है कि हम 100 दिनों के भीतर इसके लिए सुरक्षात्मक टीके तैयार कर लेंगे, ताकि हमें एक बार फिर से कोविड-19 जैसी गंभीर समस्या का सामना न करना पड़े।
डिजीज एक्स काे बारे में जानिए
जिस अज्ञात “डिजीज एक्स” को लेकर वैज्ञानिकों की टीम में चर्चा है, असल में वह कोई नया शब्द नहीं है। साल 2018 की भी एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र मिलता है कि डिजीज एक्स- हमारी दुनिया के लिए सबसे बड़ा संक्रामक खतरा बन सकती है। इतना ही नहीं कोविड-19 महामारी शुरू होने से लगभग दो साल पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) ने डिजीज एक्स को अपनी प्राथमिकता वाली बीमारियों की ब्लूप्रिंट सूची में जोड़ा था। यह उन बीमारियों की सूची थी जिनके लिए स्वास्थ्य संगठन ने त्वरित अनुसंधान और विकास की तत्काल आवश्यकता निर्धारित की थी।
डिजीज एक्स- क्या है वैज्ञानिकों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम कहती है, अस्पष्ट और अपरिभाषित प्रकृति के कारण इस बीमारी का उपनाम “डिजीज एक्स” रखा गया है। यह भविष्यवाणी करना कि कौन सा संभावित रोगजनक अगली महामारी को ट्रिगर करेगा, यह एक पहेली बनी हुई है। शोधकर्ताओं का इसको लेकर अलग-अलग मत है।
एक अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या, नई महामारी की आशंका को बढ़ा रहे हैं। शहरीकरण और बदलते पारिस्थितिकी तंत्र ने क्रॉस-प्रजाति वायरल ट्रांसमिशन को बढ़ावा दे दिया है, बर्ड फ्लू इसका उदाहरण हैं।
महामारी से बचाव को लेकर भी तैयारी
वैज्ञानिकों का कहना है, हम उन वायरस और बैक्टीरिया पर गौर कर रहे हैं, जिनके बारे में पहले से पता है कि वे खतरा पैदा कर सकते हैं। इन रोगजनकों के कारण होने वाली संभावित बीमारी को लेकर मौजूदा टीकों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन भी किया जा रहा है, जिससे इसके संभावित जोखिमों को कम करने में मदद मिल सके।
मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस (MERS-COV) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS), ये दोनों कोरोना वायरस पिछले दो दशकों के दौरान पहले ही प्रकोप का कारण बन चुके हैं। इन खतरों को ध्यान में रखते हुए हमें भविष्य की चुनौतियों को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। उम्मीद है कि हम संभावित महामारी के पहले से इससे बचाव के लिए सुरक्षात्मक उपाय कर लेंगे।
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