कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक जारी है। बैठक के बीच भारतीय किसान यूनियन अंबावता के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषि पाल अंबावता ने जानकारी दी कि आंदोलन की आगामी रुपरेखा के लिए पांच सदस्यीय कमेटी तैयार की गई है। किसान नेता ने बताया कि कमेटी के लिए राकेश टिकैत, बलबीर राजेवाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, शिवकुमार कक्का और जोगेन्द्र सिंह उगराहां के नाम तय किए गए हैं। जब तक किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं होंगे आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों के छह मुद्दे अभी बाकी
किसान नेता रणजीत सिंह राजो ने कहा कि किसान अब घर तो जाना चाहते हैं, लेकिन कब जाना है और कैसे जाना है, यह मोर्चा तय करेगा। उन्होंने कहा कि तीन कानून वापस हो गए हैं, लेकिन एमएसपी की गारंटी समेत 6 मुद्दे अभी बाकी है। अहम बात यह है कि हरियाणा सरकार के साथ किसानों की बैठक में सरकार ने मुआवजा देने से इनकार दिया है। जब सरकार ने 15 दिन पहले किसानों से माफी मांगकर कानून वापस ले लिए हैं तो अब बाकी मांगें क्यों नहीं मानी जा रही। उन्होंने कहा कि सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आज मोर्चा बड़ा निर्णय लेगा।
टिकैत की दो टूक, नहीं जा रहे वापस
वहीं बैठक से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि यहां से नहीं जा रहे हैं। हरियाणा के किसानों पर सबसे अधिक मुकदमे दर्ज हैं। उन्हें छोड़कर कैसे जा सकते हैं। खींचातानी के सवाल पर उन्होंने कहा कि किसानों में कोई खींचतान नहीं है। कुछ मीडिया ग्रुप जानबूझकर किसानों में खींचतान दिखा रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा एक था, एक है और एक ही रहेगा। यहां से इकट्ठा संयुक्त किसान मोर्चा ही वापस जाएगा।
दुष्यंत ने कहा था, पहले आंदोलन वापस लें किसान फिर वापस होंगे केस
इससे पहले हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने आंदोलनरत किसानों को सलाह दी थी कि वह आंदोलन खत्म करें। इसके बाद सरकार किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर विचार कर सकती है। जहां तक किसानों के जब्त वाहनों का मामला है, तो इस मुद्दे पर दोनों पक्ष आमने-सामने बैठकर चर्चा करेंगे।
किसानों को आंदोलन जारी रखने के लिए किया जा रहा मजबूर ,एसकेएम
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) समन्वय समिति के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने शुक्रवार को कहा था कि केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक आश्वासन नहीं मिलने के कारण किसान अपनी लंबित मांगों के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में आंदोलन को वापस लेने के लिए 6 प्रमुख मांगें उठाई थीं मगर सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। ऐसे में किसानों को आंदोलन जारी रखने के लिए बाध्य किया जा रहा है।