वाराणसी, 24 दिसंबर 2024, मंगलवार। क्रिसमस का त्योहार दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। चर्चों में लोगों की भीड़ उमड़ रही है, और लोग यीशु के जन्मदिन को अलग-अलग तरीके से मनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। तो वहीं, धर्म, आध्यात्म एवं सांस्कृतिक नगरी वाराणसी के पिंडरा में एक अनोखी परंपरा है, जहां मसीही समाज के लोग भोजपुरी में कैरोल गाते हैं। यहां पर लगभग 250 मसीही परिवार भोजपुरी चर्च में क्रिसमस मनाने के लिए जुटते हैं।
क्रिसमस पर यीशु के लिए भोजपुरी में कैरोल गाने की परंपरा पूर्वांचल से ही शुरू हुई। पिंडरा के भोजपुरी चर्च में मसीही समाज की महिलाएं भी क्रिसमस से एक दिन पहले से ही कैरोल गाने लग जाती हैं। यह कुछ-कुछ सोहर से मिलता-जुलता है, जो पूर्वांचल में बच्चों के जन्म पर गाया जाता है। इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए मसीही समाज के लोग हर साल क्रिसमस पर भोजपुरी में कैरोल गाते हैं। यह एक अनोखा और सुंदर तरीका है जिससे लोग यीशु के जन्मदिन को मनाते हैं।
भोजपुरी में क्रिसमस की धूम: ऊषा मसीही के कैरोल में यीशु के जन्म की कहानी
ऊषा मसीही पिछले कई सालों से क्रिसमस पर भोजपुरी में कैरोल गाती हैं। उनका कहना है कि जैसे जन्माष्टमी पर कान्हा के लिए और रामनवमी पर राम चंद्र जी के लिए सोहर गाया जाता है, वैसे ही वे क्रिसमस पर यीशु के लिए भोजपुरी में कैरोल गाती हैं। उनके अनुसार, क्रिसमस पर गाए जाने वाले कैरोल में यीशु के जन्म की कहानी और उनके जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को व्यक्त किया जाता है। वे कहती हैं कि उनके समुदाय में क्रिसमस पर भोजपुरी में कैरोल गाने की एक अनोखी परंपरा है, जो उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
ऊषा मसीही के अनुसार, वे क्रिसमस पर “बैतलहेम में जनम लियले हो मरियम के ललनवा, सब लोग झूमें लगले हो प्रभु के भवनवा, यीशु के दरबार हमें प्यारा लगत है, यीशु के नाम सुखदाई भजन करे रे भाई, ई जीवन दुई दिन का” जैसे कैरोल गाती हैं। ये कैरोल उनके लिए क्रिसमस के त्योहार को और भी विशेष बनाते हैं।
भोजपुरी चर्च में क्रिसमस की धूम: पास्टर चंद्रिका ने बताया कैसे मनाया जाता है यह त्योहार
भोजपुरी चर्च के पास्टर चंद्रिका ने बताया कि क्रिसमस पर चर्च में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सुबह दस बजे से महिलाएं, बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी जुटते हैं और प्रभु यीशु के प्रेम में कैरोल गाते हैं। दोपहर एक बजे केक कटता है और लोगों में बंटता है। रात दस बजे से फिर से कैरोल होता है और कैंडल जलाई जाती है। पास्टर चंद्रिका ने बताया कि भोजपुरी चर्च का कॉन्सेप्ट पूर्वांचल के लोगों को बाइबिल का संदेश भोजपुरी में देने के लिए लाया गया था। पुरबिया लोगों में इंग्लिश समझने की दिक्कत और हिन्दी में भी असहजता के कारण भोजपुरी चर्च की स्थापना को जरूरी समझा गया।
उन्होंने बताया कि पिंडरा का यह भोजपुरी चर्च 1992 में शुरू किया गया था। यह हर संडे को सुबह 10 से 12 बजे तक खुलता है और बाइबिल का संदेश भोजपुरी में सुनाया जाता है। पास्टर चंद्रिका ने बताया कि सिर्फ मसीही समाज के लोग ही नहीं बल्कि आस पास के दूसरे समाज के लोग भी क्रिसमस पर यहां कार्यक्रम में शामिल होते हैं, जिनके घरों में लोग बीमार होते हैं। उनके लिए चर्च में विशेष प्रार्थना भी की जाती है।