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Friday, November 22, 2024

फिर से पुराने तेवर में लौटे चाचा शिवपाल, बोले- कार्यकर्ता लाल कलम से लिख लें अधिकारियों का नाम, सबका हिसाब-किताब होगा

लखनऊ, 23 अक्टूबर 2024, बुधवार। समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव एक बार फिर से अपने पुराने तेवर में लौट आए हैं। शिवपाल की नजर अब उपचुनाव पर है जहां, वो बीजेपी के खिलाफ चक्रव्यूह रच रहे हैं। इसके लिए वो अपने कार्यकर्ताओं के बीच में जा रहे हैं और उनसे पुराने तड़क-धड़क के साथ पार्टी के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि चुनाव की व्यवस्था में लगे अधिकारी विधानसभा उपचुनाव को निष्पक्ष रूप से कराने का कार्य करें। यह उनकी नैतिक जिम्मेदारी है। अगर कोई अधिकारी जरा सी बेईमानी करने की कोशिश करता है तो पार्टी कार्यकर्ता उसका नाम लाल स्याही से स्पष्ट रूप से लिखकर रख लें। 2027 में समाजवादी पार्टी सरकार बनाने जा रही है और तब सबका हिसाब-किताब हो जाएगा।
सपा में वापसी के बाद अखिलेश यादव को अपना नेता मान चुके शिवपाल यादव इन दिनों उसी आक्रमक अंदाज में कार्यकर्ताओं से साथ रुबरु हो रहे हैं, जैसे मुलायम सिंह यादव के दौर में हुआ करते थे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि भाजपा कहती कुछ है और करती है। भाजपा से अधिक बेईमान और कोई सरकार हो ही नहीं सकती। कहा भाजपा का काम देश व प्रदेश में एक दूसरे को आपस में लड़ाने का है। उसके कुचक्र को देश व प्रदेश की जनता भली भांति समझ चुकी है। अब वह उसके झांसे में आने वाली नहीं है। कहा कि भाजपा रोजगार के अवसरों को पूरी तरह खत्म करना चाह रही है। शिवपाल यादव ने आगे कहा कि सपा सरकार में किसान कभी डीएपी के लिए लाइन नहीं लगाता था लेकिन इस सरकार में तो लाइन लगाने के बाद भी किसानों को उर्वरक नसीब नहीं हो रही है।
शिवपाल के कंधों पर विधानसभा उपचुनाव की जिम्मेदारी है, जिसके चलते वे उपचुनाव होने वाले विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर रहे है। शिवपाल अलग-अलग इलाकों में पहुंचे, जहां पार्टी नेताओं को साथ बैठक किया। यूपी में शिवपाल यादव की अपनी एक अलग पहचान है, उनके काम करने का तरीका और राजनीति में विरोधियों को पटखनी देने का उनका अंदाज सपा के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव की तरह है। मुलायम के सपा अध्यक्ष रहते हुए शिवपाल की पार्टी में तूती बोलती थी और अब फिर उसी मुकाम को अखिलेश यादव की लीडरशिप में हासिल करने की जद्दोजहद में जुट गए हैं। ऐसे में शिवपाल ने लोकसभा की सफलता के बाद उपचुनाव में भी जीत का बीड़ा उठाया है, जहां की सियासत जाति के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है। सपा के तमाम नेता और जातीय आधार वाले सहयोगी दल साथ छोड़कर बीजेपी के साथ चले गए हैं। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश की राजनीतिक जमीन अखिलेश के लिए काफी पथरीली मानी जा रही है, जिसे शिवपाल सपा के लिए उपजाऊ बनाने के मिशन में जुट गए हैं।

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