नई दिल्ली, 2 जून 2025, सोमवार: 1 जून रविवार को यूक्रेन ने रूस के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया, जिसमें 40 से अधिक रूसी लड़ाकू विमानों को नष्ट कर दिया गया। यह हमला रूस के लिए एक झटका था, क्योंकि यूक्रेन ने FPV ड्रोन स्वार्म्स का इस्तेमाल कर रूस की सीमा में 4000-5000 किमी अंदर तक हमला किया। निशाने पर बेलाया, डायघिलेवो, ओलेन्या और इवानोवो जैसे प्रमुख हवाई अड्डे थे, जहाँ Tu-95, Tu-22M3 जैसे स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स और A-50 एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग विमान नष्ट हुए। यूक्रेन ने इन ड्रोन्स को रूस के अंदर तस्करी कर पहले से तैनात किया था, जिससे सटीक हमले संभव हुए। रूसी ब्लॉगर्स ने इसे ‘रूसी पर्ल हार्बर’ करार दिया।
भारत में ISIS की नाकाम साजिश
भारत में भी ऐसी ही साजिश 2023 में मुंबई के पास पडघा गाँव में रची गई थी। कुख्यात आतंकी साकिब नाचन, जो पहले SIMI से जुड़ा था और 2002-03 के मुंबई बम धमाकों में शामिल रहा, ने पडघा को ISIS का अड्डा बनाया। यहाँ ‘अल-शाम’ नाम से शरिया कानून लागू करने की कोशिश की गई। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 2023 में ऑपरेशन चलाकर 44 ड्रोन, हथियार, विस्फोटक और कट्टरपंथी साहित्य बरामद किए। हैरानी की बात थी कि इजरायली झंडे भी मिले, जो साजिश की जटिलता दर्शाते हैं। NIA की सतर्कता ने मुंबई को 26/11 जैसे बड़े हमले से बचा लिया।
दोनों घटनाओं की समानता
ड्रोन का उपयोग: यूक्रेन और पडघा की साजिश में ड्रोन मुख्य हथियार थे। दोनों में दुश्मन की सीमा में घुसकर हमले की रणनीति थी।
सुरक्षा में सेंध: यूक्रेन ने रूस के हवाई अड्डों की कमजोरियों का फायदा उठाया, वहीं पडघा में आतंकियों ने शांत गाँव को अड्डा बनाया।
सटीक योजना: दोनों मामलों में हमलावरों ने पहले से ड्रोन्स तैनात किए, जिससे सटीक निशाना संभव हुआ।
अंतर और सबक
जहाँ यूक्रेन अपने मकसद में कामयाब रहा, वहीं भारत ने NIA की त्वरित कार्रवाई से साजिश को नाकाम किया। यूक्रेन का हमला ड्रोन तकनीक की ताकत दिखाता है, जबकि पडघा की घटना इसके दुरुपयोग की चेतावनी देती है। यह भारत के लिए सबक है कि ड्रोन युद्ध और आतंकी खतरों से निपटने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा। आधुनिक युद्ध में तकनीक का बढ़ता महत्व और आतंकी संगठनों की नई रणनीतियाँ सतर्कता की माँग करती हैं।