नई दिल्ली, 13 अप्रैल 2025, रविवार। भारत में वक्फ बोर्ड बिल को लेकर चल रहा विवाद अब वैश्विक चर्चा का हिस्सा बन गया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रभावशाली इमाम और ग्लोबल इमाम काउंसिल के सदस्य मोहम्मद तौहीदी ने इस मुद्दे पर ऐसा बयान दिया है, जिसने सबका ध्यान खींच लिया है। उन्होंने न केवल वक्फ बोर्ड पर सरकारी निगरानी का समर्थन किया, बल्कि इसे सिर्फ मुसलमानों तक सीमित न रखकर हिंदुओं, अन्य धर्मों और समूचे समाज की भलाई के लिए प्रासंगिक बताया।
तौहीदी ने कहा कि वक्फ बोर्ड को इस्लाम, समाज और मानवता की सेवा पर ध्यान देना चाहिए, जैसा कि यूएई में होता है। उन्होंने यूएई के वक्फ बोर्ड को एक आदर्श मॉडल करार देते हुए बताया कि वहां ये संस्थाएं पेशेवर और कानून के दायरे में काम करती हैं। ये बोर्ड न सिर्फ मस्जिदों, बल्कि मंदिरों, चर्चों और अन्य पूजा स्थलों के लिए भी समान रूप से काम करते हैं। यूएई में सभी धार्मिक संस्थाएं कानून के तहत संरक्षित हैं और सरकार उनकी देखभाल करती है, बिना किसी भेदभाव के।
भारतीय मुसलमानों को नसीहत देते हुए तौहीदी ने जोर देकर कहा कि वक्फ बोर्ड को समाज के व्यापक हित में काम करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत में भी वक्फ बोर्ड को यूएई की तरह पारदर्शी और समावेशी बनाया जाए, जहां यह न केवल मुस्लिम समुदाय, बल्कि हर धर्म और समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। उनका मानना है कि कानून का पालन और समाजसेवा ही वक्फ बोर्ड की सच्ची पहचान होनी चाहिए।
तौहीदी का यह बयान भारत में वक्फ बोर्ड के कामकाज और उसके सामाजिक प्रभाव पर नई बहस छेड़ सकता है। क्या भारत इस सलाह को अपनाकर वक्फ बोर्ड को और समावेशी बनाएगा? यह सवाल अब सबके मन में है।