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Sunday, June 1, 2025

ट्रंप की एप्पल को चेतावनी: ‘अमेरिका में बनाओ iPhone, वरना 25% टैरिफ!’

नई दिल्ली, 24 मई 2025, शनिवार। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर टेक दिग्गज एप्पल को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक को चेतावनी दी है कि अमेरिका में बिकने वाले iPhone अब भारत या किसी अन्य देश में नहीं, बल्कि अमेरिका में ही बनने चाहिए। ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर एप्पल ने ऐसा नहीं किया, तो उसे कम से कम 25% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।

ट्रंप का सख्त रुख

ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “मैंने टिम कुक को पहले ही बता दिया था कि अमेरिका में बिकने वाले iPhone की मैन्युफैक्चरिंग यहीं होनी चाहिए, न कि भारत या कहीं और। अगर एप्पल ऐसा नहीं करता, तो उसे 25% टैरिफ देना होगा।” यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने एप्पल पर दबाव बनाया है। अपने दूसरे कार्यकाल में वे ‘मेड इन अमेरिका’ पर जोर दे रहे हैं और चाहते हैं कि एप्पल जैसे बड़े ब्रांड्स अमेरिका में उत्पादन बढ़ाएं।

भारत और चीन क्यों हैं एप्पल की पसंद?

एप्पल ने सस्ते और कुशल श्रम, साथ ही सटीक इंजीनियरिंग और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला के कारण भारत और चीन को iPhone उत्पादन के लिए चुना है। भारत में ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन तमिलनाडु में iPhone असेंबल करती है, जबकि टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स भी पेगाट्रॉन कॉर्प के साथ मिलकर उत्पादन में जुटी है। दोनों कंपनियां भारत में नए कारखाने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना बना रही हैं। दूसरी ओर, अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग लागत अधिक होने के कारण कंपनियां वहां उत्पादन से हिचकती हैं।

आंकड़ों की जुबानी

एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार, 2024 में अमेरिका में 7.59 करोड़ iPhone बिके, जिनमें से 31 लाख इकाइयां भारत से निर्यात हुईं। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में भारत से 1.5 लाख करोड़ रुपये के iPhone निर्यात किए गए। यह आंकड़ा भारत की बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग ताकत को दर्शाता है।

क्या होगा असर?

ट्रंप का यह बयान न केवल एप्पल, बल्कि पूरी टेक इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा संकेत है। अगर टैरिफ लागू होता है, तो iPhone की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। दूसरी ओर, भारत जैसे देशों में iPhone उत्पादन से लाखों नौकरियां और आर्थिक विकास जुड़ा है। एप्पल अब इस दोहरी चुनौती में कैसे संतुलन बनाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

क्या ट्रंप का ‘मेड इन अमेरिका’ सपना हकीकत बनेगा, या एप्पल अपनी रणनीति पर अडिग रहेगी? यह सवाल टेक और व्यापार जगत में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

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