नई दिल्ली, 5 मई 2025, सोमवार। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आक्रामक टैरिफ ने चीन की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया है। कारखाने बंद हो रहे हैं, मजदूरों को महीनों से वेतन नहीं मिला, और सड़कों पर हाहाकार मचा है। दूसरी ओर, इस संकट ने भारत के लिए सुनहरा अवसर खोल दिया है, जो अब वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग का नया केंद्र बनने की राह पर है।
चीन में गहराता संकट
ट्रंप प्रशासन ने चीनी सामानों पर भारी-भरकम टैरिफ, कुछ मामलों में 145% तक, थोप दिए हैं। इसका असर साफ दिख रहा है। चीन, जो अभी कोरोना के आर्थिक दंश से पूरी तरह उबर भी नहीं पाया, अब और गहरे संकट में फंस गया है। घरेलू मांग कमजोर है, प्रॉपर्टी सेक्टर डगमगा रहा है, और अब निर्यात पर भी मार पड़ रही है। गोल्डमैन सैक्स के विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन टैरिफ्स की वजह से चीन में 1.6 करोड़ नौकरियां खतरे में हैं।
चीन के कारखानों में अशांति चरम पर है। हुनान, सिचुआन, और इनर मंगोलिया जैसे इलाकों में मजदूर सड़कों पर उतर आए हैं। वे बकाया वेतन और सामाजिक सुरक्षा लाभ की मांग कर रहे हैं। सिचुआन की एक कंपनी, जो फ्लेक्सिबल सर्किट बोर्ड बनाती है, ने 2023 से न तो वेतन दिया और न ही सामाजिक सुरक्षा लाभ। शानक्सी प्रांत के तुआनजी गांव में प्रवासी मजदूर फरवरी 2025 से बिना वेतन के गुजर-बसर कर रहे हैं।
हुनान के दाओ काउंटी में गुआंग्जिन स्पोर्ट्स गुड्स की फैक्ट्री बंद होने से सैकड़ों कर्मचारी हड़ताल पर हैं। मजदूरों का आरोप है कि कंपनी ने 50 साल से ज्यादा उम्र की 100 से अधिक महिला कर्मचारियों को बिना मुआवजे या रिटायरमेंट लाभ के निकाल दिया। यह फैक्ट्री स्पोर्ट्स प्रोटेक्टिव गियर बनाती थी, लेकिन अब अमेरिकी टैरिफ्स की मार ने इसे ठप कर दिया।
भारत की उड़ान
चीन की इस दुर्दशा के बीच भारत एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। एप्पल के सीईओ टिम कुक ने हाल ही में ऐलान किया कि अमेरिका में बिकने वाले ज्यादातर आईफोन अब भारत में बनाए जाएंगे। यह फैसला अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध के चलते लिया गया है। भारत में बने आईफोन की संख्या बढ़ने से देश न केवल मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा, बल्कि लाखों नौकरियां भी पैदा होंगी।
कई वैश्विक कंपनियां अब चीन से अपना कारोबार समेट रही हैं। अमेरिका में चीनी सामान महंगे होने से उनकी मांग घटी है, और भारत जैसे देश इस मौके को भुनाने के लिए तैयार हैं।
चीन के लिए और खतरा
चीन की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। अगर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है और चीन पाकिस्तान का साथ देता है, तो ड्रैगन को और भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैश्विक मंच पर उसकी साख पहले ही दांव पर है, और आर्थिक कमजोरी उसे और पीछे धकेल सकती है।