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Saturday, August 2, 2025

ट्रंप की टैरिफ तानाशाही और पाकिस्तान से तेल का सपना

दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होती इकोनॉमी को बताया ‘डेड’

नई दिल्ली, 1 अगस्त 2025। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ थोपकर एक बार फिर अपनी बड़बोली नीति का परिचय दिया है। हाल ही में, 24 घंटों में उनके पांच बयानों ने वैश्विक सुर्खियां बटोरीं, जिनमें तथ्यों से ज्यादा हताशा और व्यापारिक कुंठा झलक रही थी। ट्रंप ने भारत को ‘मृत अर्थव्यवस्था’ करार दिया, पाकिस्तान से तेल सौदे का दावा किया और भारत-रूस गठजोड़ पर तंज कसा। लेकिन क्या वाकई भारत उनकी दया पर टिका है, या यह ट्रंप की दबाव बनाने की नाकाम रणनीति है?

टैरिफ की तलवार और भारत की चुनौती

1998 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर चुके भारत ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा था। आज, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरते भारत पर ट्रंप का 25% टैरिफ एक नई चुनौती है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि भारत के ‘उच्च टैरिफ’ और रूस से हथियार-तेल खरीदने की नीति के चलते यह कदम उठाया गया। लेकिन विशेषज्ञ इसे यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म न कर पाने की उनकी खीज और ब्रिक्स देशों पर दबाव की रणनीति मान रहे हैं।

पाकिस्तान से तेल का ‘सपना’

ट्रंप ने चौंकाने वाला दावा किया कि पाकिस्तान के साथ तेल भंडार विकसित करने की डील फाइनल हो चुकी है, और एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचेगा। यह बयान न केवल भारत-पाक संबंधों की जटिलता को नजरअंदाज करता है, बल्कि हास्यास्पद भी है। विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान के तेल भंडार, खासकर बलूचिस्तान में, विकसित करने में 45 साल और अरबों डॉलर लगेंगे। बलूचिस्तान की अस्थिरता और सुरक्षा चुनौतियों के बीच चीन भी वहां निवेश से कतराता है। सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी नागरिक भी ट्रंप के इस दावे का मजाक उड़ा रहे हैं, पूछते हुए, “हमें क्यों नहीं पता कि हमारे पास तेल है?”

‘मृत’ अर्थव्यवस्था का मिथक

ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड’ बताकर अपनी हताशा जाहिर की। लेकिन आंकड़े उनकी बात को झुठलाते हैं। आईएमएफ के अनुसार, भारत 2025-26 में 6.4% की दर से बढ़ेगा, जबकि अमेरिका की विकास दर 1.9-2% रहेगी। गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि 2075 तक भारत अमेरिका को पछाड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत की यह रफ्तार ट्रंप के दावों की हवा निकाल रही है।

राजनीतिक बवाल

भारत में ट्रंप के बयान पर सियासी घमासान मचा है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ट्रंप के ‘मृत अर्थव्यवस्था’ वाले बयान का समर्थन किया, जिसे उनके सहयोगी और कांग्रेस के कई नेता खारिज कर रहे हैं। दूसरी ओर, सरकार ट्रंप की टैरिफ नीति को चुनौती के रूप में देख रही है, जिसे अवसर में बदला जा सकता है।

ट्रंप की बड़बोली रणनीति

ट्रंप के बयानों में बार-बार यू-टर्न लेने की पुरानी आदत दिखी। टैरिफ की घोषणा के तीन घंटे बाद ही उन्होंने कहा कि ब्रिक्स की वजह से यह कदम उठाया गया, और “सब कुछ एक हफ्ते में सुलझ जाएगा।” विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की यह बड़बोलापन दबाव बनाने की रणनीति है, जो भारत जैसे आत्मनिर्भर देश पर बेअसर साबित हो रही है।

आगे की राह

भारत ने इतिहास में प्रतिबंधों को अवसर में बदला है। आज, रूस से तेल और हथियार खरीदने की नीति भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाती है। ट्रंप की टैरिफ तानाशाही और पाकिस्तान से तेल का सपना शायद उनकी हताशा का प्रतीक है, लेकिन 140 करोड़ भारतीयों का देश अपनी राह खुद तय करेगा। जैसा कि कलाम ने कहा था, “प्रतिबंध रुकावट नहीं, अवसर हैं।”

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