वाशिंगटन/नई दिल्ली, 31 जुलाई 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान कर वैश्विक व्यापार में नया तूफान खड़ा कर दिया है। यह टैरिफ 1 अगस्त 2025 से लागू होगा। ट्रंप ने भारत को अमेरिका का दोस्त बताते हुए भी रूस से तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद को लेकर भारत पर अतिरिक्त जुर्माना लगाने की बात कही। इस फैसले ने भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में नई चुनौतियां पेश की हैं।
भारत की प्रतिक्रिया: राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
भारतीय वाणिज्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि वह इस फैसले के निहितार्थों का अध्ययन कर रहा है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते पर बातचीत जारी है, लेकिन राष्ट्रीय हित हमेशा प्राथमिकता रहेंगे।
‘अमेरिका भारत को ब्लैकमेल नहीं कर सकता’
आम आदमी पार्टी के सांसद और उद्योगपति अशोक मित्तल ने ट्रंप के फैसले को दुखद बताया। उन्होंने कहा, “यह अमेरिका का दबाव बनाने का तरीका है। भारत से निर्यात होने वाली चीजें, चाहे सॉफ्टवेयर हो या फार्मा उत्पाद, अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। इससे अमेरिकी उपभोक्ता भी प्रभावित होंगे।” मित्तल ने सख्त लहजे में कहा, “भारत एक संप्रभु राष्ट्र है। हम तय करेंगे कि किस देश के साथ क्या व्यापार करना है। अमेरिका हमें ब्लैकमेल नहीं कर सकता।”
‘भारत के लिए सुनहरा मौका’
दूसरी ओर, पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने इस स्थिति को भारत के लिए अवसर के रूप में देखा। उन्होंने कहा, “अमेरिका की सख्त व्यापार नीतियों के बीच भारत विश्वसनीय और लोकतांत्रिक विकल्प के रूप में उभर रहा है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है।” जैन ने भारतीय उद्योगों से गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा पर ध्यान देने का आह्वान किया, ताकि भारत वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सके।
BTA से मिलेगी राहत
इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के सुनील जैन और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के डीजी अजय सहाय ने उम्मीद जताई कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) जल्द होने से टैरिफ का बोझ कम होगा। सहाय ने कहा, “यह ड्यूटी अभी ज्यादा लग रही है, लेकिन BTA के बाद यह काफी हद तक कम हो जाएगी।” पीएचडीसीसीआई के सीईओ रंजीत मेहता ने भी कहा कि अल्पकाल में निर्यात पर असर पड़ेगा, लेकिन लंबे समय में भारत को नए बाजारों में विस्तार का मौका मिलेगा।
क्या होगा असर?
विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ से भारतीय एमएसएमई क्षेत्र प्रभावित हो सकता है, लेकिन भारत की तकनीकी क्षमता, जनसंख्या का लाभ और उद्यमशीलता इसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में मजबूत दावेदार बनाती है। ट्रंप का यह कदम भारत-अमेरिका रिश्तों के लिए चुनौती तो है, लेकिन विशेषज्ञ इसे एक ‘स्प्रिंगबोर्ड’ के रूप में देख रहे हैं, जो भारत को वैश्विक व्यापार में नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।
आगे क्या?
भारत और अमेरिका के बीच BTA पर बातचीत अगले कुछ महीनों में निर्णायक मोड़ ले सकती है। तब तक भारत अपनी रणनीति को और मजबूत करने में जुटा है, ताकि वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति और साख बरकरार रहे।