औरंगाबाद पर उबाल: काशी में इतिहास की नई इबारत
✍️ विकास यादव
वाराणसी, 27 मार्च 2025, गुरुवार। काशी इन दिनों एक अनूठे बदलाव और उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। एक ओर जहां औरंगजेब के नाम से जुड़े मुहल्ले औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग तेज हो रही है, वहीं दूसरी ओर राणा सांगा पर दिए गए विवादित बयान और छत्रपति शिवाजी की मूर्ति स्थापना को लेकर सड़कों पर हलचल मची है। यह प्राचीन नगरी, जो अपनी आध्यात्मिकता और इतिहास के लिए जानी जाती है, आज फिर से चर्चा का केंद्र बन गई है।
औरंगजेब का जिन्न फिर जागा
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘छावा’ के बाद औरंगजेब का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है। नागपुर में उसकी कब्र हटाने की मांग के दौरान फैली हिंसा की गूंज काशी तक पहुंची है। विश्व वैदिक सनातन न्यास ने दावा किया कि औरंगाबाद मुहल्ले का नाम मुगल शासक औरंगजेब के नाम पर रखा गया था, जबकि पहले यह शिवनगर कहलाता था। संगठन ने इस मुहल्ले का नाम बदलने की मांग करते हुए नगर आयुक्त अक्षत वर्मा को एक ज्ञापन सौंपा है। इस मांग को हिंदूवादी संगठनों और स्थानीय भाजपा पार्षदों का भी समर्थन मिल रहा है।
आज महापौर अशोक तिवारी की अध्यक्षता में होने वाली कार्यकारिणी बैठक में इस मुद्दे पर प्रस्ताव लाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, औरंगाबाद का नाम बदलकर लक्ष्मी नगर या नारायणी धाम करने की तैयारी है। अगर यह प्रस्ताव कार्यकारिणी और सदन से पारित हो जाता है, तो इसे अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। कार्यकारिणी सदस्य मदन दुबे ने कहा कि न सिर्फ औरंगाबाद, बल्कि काशी के उन सभी मुहल्लों के नाम बदले जाएंगे जो मुस्लिम आक्रांताओं की याद दिलाते हैं। इस बीच, जिला प्रशासन भी इतिहासकारों के साथ मिलकर औरंगाबाद के पुराने नाम की खोज में जुटा है। काशी के ऐतिहासिक ग्रंथों और दस्तावेजों के पन्ने पलटे जा रहे हैं ताकि सच सामने आ सके।
राणा सांगा पर बयान से भड़की करणी सेना
दूसरी तरफ, सपा सांसद रामजी सुमन के राज्यसभा में मेवाड़ के वीर योद्धा राणा सांगा पर दिए गए कथित बयान ने करणी सेना को आक्रोशित कर दिया है। आगरा में सांसद के घर पर हुए प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ और हिंसा में कई लोग घायल हुए, जिसमें करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पैर भी टूट गया। अब यह आग वाराणसी पहुंच चुकी है। करणी सेना आज एमपी-एमएलए कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मुरलीधर सिंह के जरिए सांसद के खिलाफ मुकदमा दायर करने जा रही है। करणी सेना के जिलाध्यक्ष आलोक सिंह ने कहा कि राणा सांगा जैसे महान राजा का अपमान क्षत्रिय समाज कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।
शिवाजी की मूर्ति के लिए शिवसेना का आह्वान
काशी के मंदिरों और घाटों के निर्माण में अहम योगदान देने वाले छत्रपति शिवाजी के सम्मान में अब शिवसेना भी मैदान में उतर आई है। सेंट्रल जेल रोड पर बने फुलवरिया तिराहे पर शिवाजी की प्रतिमा लगाने की मांग को लेकर शिवसैनिकों ने जोरदार प्रदर्शन किया। डमरू और शंख की गूंज के बीच ‘हर हर महादेव’ के नारों के साथ उन्होंने तिराहे पर शिवाजी का पोस्टर लगाया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर तिराहे का नामकरण और मूर्ति स्थापना की मांग की। शिवसैनिकों का कहना है कि काशी के गौरवशाली इतिहास में शिवाजी का योगदान अतुलनीय है, और उनकी स्मृति में एक भव्य प्रतिमा यहां जरूरी है। हालांकि, विकास प्राधिकरण इस तिराहे को खेल-थीम पर विकसित करने की योजना बना रहा है, जिसमें हॉकी स्टिक और बॉल वाला गोलंबर प्रस्तावित है।
काशी का बदलता स्वरूप
यह सारी घटनाएं काशी के उस चरित्र को उजागर करती हैं, जहां इतिहास और आस्था का मेल हमेशा से विवादों को जन्म देता रहा है। औरंगजेब के नाम से जुड़े मुहल्ले का नाम बदलने की मांग हो, राणा सांगा पर बयानबाजी का विरोध हो या शिवाजी की मूर्ति का मुद्दा—ये सभी घटनाएं इस नगरी की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश का हिस्सा हैं। जिला प्रशासन, संगठन और स्थानीय लोग मिलकर इस बदलाव की दिशा तय करने में जुटे हैं। आने वाले दिन बताएंगे कि काशी का यह नया अध्याय किस ओर बढ़ता है।