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Tuesday, June 24, 2025

कनिष्का पीड़ितों को श्रद्धांजलि: तरुण चुग ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध का किया आह्वान

प्रवासी भारतीयों का योगदान अतुलनीय, मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति बनी नये भारत की पहचान

डबलिन/नई दिल्ली/चंडीगढ़, 24 जून 2025: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुग ने 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 (कनिष्का) के 329 पीड़ितों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता का आह्वान किया। आयरलैंड में भारतीय दूतावास में प्रवासी भारतीयों और ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “कनिष्का त्रासदी केवल भारत पर नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर हमला थी। आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”

चुग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की जीरो टॉलरेंस नीति की सराहना की और आतंकवाद की फंडिंग रोकने तथा इसे जड़ से खत्म करने के लिए वैश्विक सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए इसे पाकिस्तान की आईएसआई द्वारा भारत की शांति और प्रगति को बाधित करने की साजिश करार दिया। उन्होंने जोड़ा, “मोदी सरकार की दृढ़ नीतियों और देशवासियों की एकता ने ऐसी साजिशों को बार-बार विफल किया है।”

विकसित भारत 2047 का संकल्प

चुग ने भारत की आर्थिक प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो उद्योग, सेवा और निर्यात में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों के योगदान को अतुलनीय बताया और कहा, “प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति ने हर भारतीय को वैश्विक मंचों पर सम्मान दिलाया है। आज भारत के बिना कोई वैश्विक मंच पूर्ण नहीं माना जाता।”

उन्होंने प्रवासी भारतीयों से ‘विकसित भारत 2047’ के सपने को साकार करने में सक्रिय भूमिका निभाने और भारत की सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का आग्रह किया। समारोह में उपस्थित कार्यकर्ताओं ने इस संकल्प को दोहराते हुए भारत की विकास यात्रा में योगदान देने की प्रतिबद्धता जताई।

आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश

चुग ने कहा कि भारत की स्थिरता और प्रगति वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों से भारत के गौरव को विश्व भर में फैलाने और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील की। यह समारोह न केवल कनिष्का त्रासदी के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने का अवसर था, बल्कि भारत की वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका को रेखांकित करने का मंच भी बना।

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