ऋषिकेश, 20 अक्टूबर 2024:
उत्तराखंड के ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के लिए ट्रैक बिछाने का काम तेजी से चल रहा है, और यह बहुप्रतीक्षित रेल परियोजना न केवल यात्रियों के लिए, बल्कि राष्ट्रीय एवं सामरिक महत्व की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। परियोजना का लक्ष्य वर्ष 2026 के अंत तक यात्रियों को दिल्ली से सीधे कर्णप्रयाग जाने की सुविधा प्रदान करना है।
सुरंगों और पुलों का निर्माण
125 किमी लंबे इस ब्राड गेज रेल प्रोजेक्ट में से 104 किमी भाग 17 सुरंगों के भीतर से गुजरेगा। इसमें देवप्रयाग और लछमोली के बीच 15.1 किमी लंबी सुरंग भी शामिल है, जो उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश की सबसे बड़ी सुरंग बनने जा रही है। रेल विकास निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत कुमार यादव ने बताया कि कुल 213.4 किमी लंबाई में से 153.6 किमी (73 प्रतिशत) सुरंगों की खोदाई का कार्य पूरा हो चुका है।
इस परियोजना के तहत 16 प्रमुख पुलों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से चार का कार्य पूर्ण हो चुका है। श्रीनगर, गौचर, और कालेश्वर में रेलवे स्टेशनों को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए मोटर पुलों का निर्माण भी पूरा हो चुका है।
स्टेशन और यात्रा की सुविधा
इस रूट पर कुल 13 स्टेशन होंगे, जिनमें ऋषिकेश, मुनि की रेती, शिवपुरी, मंजिलगांव, सकनी, देवप्रयाग, कीर्तिनगर, श्रीनगर, धारी, रुद्रप्रयाग, घोलतीर, घोचर और कर्णप्रयाग शामिल हैं। कर्णप्रयाग उतरने के बाद यात्री आगे गाड़ी पकड़कर बदरीनाथ और केदारनाथ जा सकेंगे।
सामाजिक उत्तरदायित्व और स्थानीय विकास
परियोजना के तहत आरवीएनएल ने इस वर्ष कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत 1364.92 लाख रुपये के कार्यों को स्वीकृत किया है। इसमें मधुमक्खी पालन, निराश्रित गायों और बैलों के आश्रय, और केदारनाथ धाम के विकास के लिए महत्वपूर्ण निधि शामिल है।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि, परियोजना के निर्माण के कारण कुछ गांवों में भूगर्भीय हलचल से भवनों और सड़कों को क्षति पहुंची है। जिला प्रशासन के माध्यम से मुआवजा दिया जा रहा है, और जल स्रोतों के सूखने की समस्या का समाधान भी किया जा रहा है।
यह परियोजना न केवल यात्रा को सरल बनाएगी, बल्कि उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देगी।