वाराणसी, 6 मई 2025, मंगलवार। वाराणसी के मिर्जा मुराद इलाके में सोमवार की शाम एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। करधना प्रतापपुर गांव में 22 वर्षीय दिव्यांग नवविवाहिता भोली देवी की शॉर्ट सर्किट से लगी आग में जलकर दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा उस समय हुआ, जब भोली अपने मायके में आयोजित गृह प्रवेश के समारोह में मेहमानों के लिए कूलर चालू कर रही थी। इस त्रासदी ने न केवल एक परिवार को गहरे सदमे में डुबो दिया, बल्कि कई अनुत्तरित सवाल भी छोड़ गए।
चार महीने पहले बंधा था रिश्ता, मायके में थी खुशियों की तैयारी
भोली देवी की शादी दिसंबर 2024 में चंगवार (बेनीपुर) गांव के राजेश पटेल के साथ हुई थी। करधना निवासी राजेंद्र प्रसाद की बेटी भोली, जो जन्म से ही दिव्यांग थी, अपने जीवन के नए अध्याय को लेकर बेहद उत्साहित थी। दस दिन पहले वह अपने मायके में नए घर के गृह प्रवेश समारोह में शामिल होने आई थी। पिता राजेंद्र बताते हैं, “नया घर बनने से बेटी बहुत खुश थी। वह दौड़-दौड़कर मेहमानों की सेवा में जुटी थी।” लेकिन किसे पता था कि यह खुशी क्षणभंगुर साबित होगी।
शॉर्ट सर्किट ने छीनी जिंदगी, बचाने की हिम्मत न जुटा सका कोई
सोमवार शाम, जब भोली ने मेहमानों के लिए कूलर का स्विच ऑन किया, तभी नई वायरिंग में शॉर्ट सर्किट हो गया। देखते ही देखते चिंगारी ने आग का रूप ले लिया और भोली को अपनी चपेट में ले लिया। दिव्यांग होने के कारण वह भाग न सकी और “बचाओ-बचाओ” की चीखें गूंजने लगीं। कमरे में मौजूद मेहमानों ने बिजली सप्लाई बंद करने की कोशिश की, लेकिन तब तक आग की लपटें इतनी तेज हो चुकी थीं कि कोई भी उसे बचाने की हिम्मत न जुटा सका। जब तक बिजली काटी गई, भोली बुरी तरह जल चुकी थी। परिजन उसे लेकर अस्पताल भागे, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
अंतिम संस्कार में छिपा दर्द, पुलिस को सूचना तक न दी
हादसे में भोली के इधर-उधर भागने के दौरान कमरे का सामान भी जलकर राख हो गया। करंट का डर और तेज लपटों ने किसी को भी उसे बचाने का मौका न दिया। इसके बाद, ससुराल और मायके वालों ने बिना पुलिस को सूचित किए भोली का अंतिम संस्कार कर दिया। यह निर्णय शायद परिवार के गहरे दुख और सदमे का परिणाम था, लेकिन इसने कई सवाल खड़े कर दिए।
“वह कभी दिव्यांग जैसी नहीं लगी,” पति का छलका दर्द
भोली के पति राजेश पटेल, जो समारोह में शामिल होने आने वाले थे, ने बताया, “शादी के चार-पांच महीनों में भोली ने हमारी बहुत सेवा की। उसने कभी अपनी दिव्यांगता को आड़े नहीं आने दिया। हम उसे विदा कराकर ले जाने वाले थे, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था।” पिता राजेंद्र का कहना है, “वह हर काम खुद करती थी। नई वायरिंग में क्या गड़बड़ थी, पता नहीं, लेकिन एक चिंगारी ने मेरी बेटी छीन ली।”