वाराणसी, 21 मार्च 2025, शुक्रवार। वाराणसी के लोहता थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। एक मां और बेटे की असमय मृत्यु ने न केवल एक परिवार को तोड़ दिया, बल्कि शादी की तैयारियों में जुटी खुशियों को पलभर में मातम में बदल दिया। यह कहानी दुख, हादसे और उस असहनीय पीड़ा की है, जो एक मां के दिल को झकझोर गई।
राम रायपुर गांव के 27 वर्षीय विनय कुमार सिंह एक निजी डॉक्टर के पास मेडिकल फार्मासिस्ट का काम सीख रहे थे। गुरुवार रात करीब 10 बजे वह अपनी बुलेट बाइक से परमपुर रिंग रोड के रास्ते घर लौट रहे थे। तभी एक तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। हादसा इतना भयानक था कि विनय गंभीर रूप से घायल हो गए। राहगीरों की मदद से पुलिस ने उन्हें तुरंत BHU ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जेब से मिले कागजों के आधार पर पुलिस ने विनय की पहचान की और परिवार को इस दुखद सूचना से अवगत कराया।
जैसे ही यह खबर घर पहुंची, परिवार में कोहराम मच गया। विनय की मां समलावती देवी (56 वर्ष) अस्पताल पहुंचीं। अपने जवान बेटे का शव देखते ही उनका दिल टूट गया। वह बेसुध होकर जमीन पर गिर पड़ीं। परिजनों ने उन्हें संभालने की कोशिश की, लेकिन उस मां के लिए यह दर्द सहन करना नामुमकिन था। बड़े बेटे विक्की ने मां को घर भेज दिया, मगर शायद किसी को अंदाजा नहीं था कि यह दुख और कितना गहरा होने वाला है।
शुक्रवार की सुबह करीब 5 बजे, जब घरवाले अभी नींद से जागे भी नहीं थे, समलावती देवी घर से गायब थीं। परिजन और गांव वाले उन्हें ढूंढने निकले। इसी बीच बनकट गांव के पास एक महिला के शव की खबर मिली। वहां पहुंचने पर जो देखा, उसने सबके होश उड़ा दिए—वह शव समलावती का था। उन्होंने ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी थी। यह जगह उनके घर से महज 500 मीटर दूर थी। पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। शुक्रवार शाम तक मां-बेटे का अंतिम संस्कार होने की उम्मीद है।
इस परिवार पर पहले ही मुसीबतों का पहाड़ टूट चुका था। विनय के पिता अनिल सिंह की छह महीने पहले लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई थी। चार बहनों और दो भाइयों में सबसे छोटे विनय की मौत के बाद अब मां भी चली गईं। घर में बड़े भाई विक्की की शादी की तैयारियां चल रही थीं। समलावती ने कुछ दिन पहले ही लड़की पसंद की थी और शादी की तारीख तय करने की बात चल रही थी। लेकिन अब यह घर खुशियों के बजाय मातम की चीखों से गूंज रहा है।
विक्की का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव वाले उसे सांत्वना दे रहे हैं, लेकिन इस दर्द को कम करना आसान नहीं। बहनों को भी सूचना दे दी गई है। यह घटना न सिर्फ एक परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सबक है कि जिंदगी कितनी अनिश्चित हो सकती है। एक पल में सब कुछ बदल गया—जहां ढोल-नगाड़े बजने थे, वहां अब सन्नाटा पसर गया।