हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ उत्तर भारत में मनाया जा जाता है। नाग पंचमी पर भगवान भोलेनाथ की पूजा के साथ उनके गले में विराजमान नाग देवता की पूजा होती है। नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने के साथ-साथ इन्हे दूध पिलाने की भी विधान होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी पर नाग की पूजा करने से व्यक्तियों के जीवन में चल रहा कालसर्प और राहु दोष से मुक्ति मिल जाती है। इस वर्ष नाग पंचमी पर बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है। आइए जानते हैं नाग पंचमी पूजा के लिए पूजा विधि विस्तार से।
नाग पंचमी पर दुर्लभ योग
09 अगस्त को नाग पंचमी का त्योहार कई दुर्लभ योगों में मनाई जा रही है। वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक इस वर्ष करीब 500 साल बाद दुर्लभ संयोग बना हुआ है। नाग पंचमी के दिन अभिजीत मुहूर्त के साथ-साथ अमृत काल, रवि योग, शिववास योग, सिद्ध योग, साध्य योग, बव और बालव के साथ हस्त नक्षत्र का संयोग होगा।
पूजा विधि
– नाग पंचमी के दिन श्रद्धालु प्रात:काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और द्वार के दोनों तरफ गोबर के नाग बनाएं।
– पूजा स्थल में एक सर्प की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
– दही, दूध, दूर्वा, पुष्प, कुश, गंध, अक्षत और अनेक प्रकार के नैवेद्यों से नागों का पूजन करें।
– अब नाग देवता की आरती करें और वहीं बैठ कर नागपंचमी की कथा पढ़ें।
– इसके बाद नाग देवता से घर में सुख-शांति और सुरक्षा की प्रार्थना करे
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