वाराणसी, 24 फरवरी 2025, सोमवार। वाराणसी में रूस से आए 35 सदस्यीय दल ने काशी के कर्मकांडी विद्वानों के नेतृत्व में भव्य रूद्र यज्ञ किया। इस यज्ञ का मुख्य उद्देश्य यूरेशिया क्षेत्र और पूरी दुनिया में शांति का संचार करना है। यज्ञ के बाद, दल ने काशी विश्वनाथ की पूजा-अर्चना की और आरती भी की। इस दल का उद्देश्य महाशिवरात्रि के अवसर पर महाकुंभ में संगम में डुबकी लगाना भी है, ताकि दुनिया भर में शांति का संदेश फैल सके। यह दल रूस के विभिन्न शहरों से आया है और काशी, अयोध्या, चित्रकूट, और प्रयागराज के धार्मिक स्थलों पर पूजा-अर्चना और अनुष्ठान करने के लिए यात्रा पर है।
इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह रूस और भारत के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर बन रहा है। रूस के लोग भारत की संस्कृति, योग, और प्राचीन परंपराओं के प्रति गहरा सम्मान रखते हैं, और यही कारण है कि वे भारत के इस धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र काशी आए हैं। मास्को की फ्लोरेंटीना ने कहा कि उन्होंने महादेव और अन्य देवताओं को साक्षी मानकर रूद्र यज्ञ किया, ताकि यूरेशिया समेत पूरी दुनिया में शांति हो। उन्होंने कहा कि वे युद्ध से तंग आ चुके हैं और शांति की कामना करते हैं।
अस्सी घाट पर सोमवार को हुए इस यज्ञ में दीपक पुरोहित ने यज्ञ को संपन्न कराया और इस दौरान काशी के वसुधैव कुटुंबकम दर्शन को समझाया। उन्होंने बताया कि यह दल रूस के अस्त-व्यस्त समाज में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से काशी आया है। 26 साल की मारिया ने कहा कि अब वे थक चुके हैं और बहुत विनाश हो चुका है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि लोग सद्बुद्धि प्राप्त करें और शांति के मार्ग पर चलें। काशी में हवन और प्रयागराज में डुबकी लगाने का उनका यही उद्देश्य है।
महाशिवरात्रि पर स्नान काे ब्राजील से महाकुंभ पहुंचे शिवभक्त
महाकुंभ के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि पर संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए दो दर्जन से अधिक ब्राजीली युवाओं का यह समूह जुटने लगे हैं। दल के सदस्य इसाबेला ने बताया कि वह हर वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और गंगा स्नान के लिए आते थे, लेकिन इस बार प्रयागराज में महाकुंभ के दिव्य आयोजन की ख्याति सुनकर यहां पहुंचे हैं। ब्राजील के इन श्रद्धालुओं शरीर पर भगवान शिव से जुड़े विभिन्न प्रतीकों के टैटू गुदे हुए हैं, जिनमें त्रिशूल, डमरू और महाकाल की आकृतियां प्रमुख हैं। पुरुषों के कानों में त्रिशूल के आकार की कुंडलियां और महिलाओं के हाथों में ओम व रुद्राक्ष की माला इनकी भक्ति को और विशेष बना रही हैं। दरसल, ब्राजील में कयापो समुदाय के लोग शरीर पर धार्मिक प्रतीक का टैटू गुदवाने की परंपरा को मानते हैं, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने शिवभक्ति का यह अनूठा स्वरूप अपनाया है।