वाराणसी, 23 फरवरी 2025, रविवार। महाशिवरात्रि तो देश भर में मनाई जाती है, लेकिन भोले बाबा की नगरी काशी में यह महाउत्सव हो जाती है। भोले बाबा से जुड़े महापर्व की बात हो और काशीपुराधिपति के बरात की चर्चा न हो तो समग्रता नहीं पाती है, आधी-अधूरी रह जाती है। फागुन कृष्ण पक्ष के चौदस की सांवली-सलोनी रात निकलने वाली शिव बरात मात्र एक जुलूस या शोभायात्रा नहीं, काशी का अपना भाव, स्व-भाव है। लेकिन, महाकुंभ के पलट प्रवाह के चलते प्रशासन की अपील पर बरात के समय में बदलाव करने का समिति ने निर्णय लिया है। शिव बारात समिति के संरक्षक आरके चौधरी ने बताया कि इस बार अपने 43वें शिव बारात के समय में बदलाव किए हैं। महाशिवरात्रि के अगले दिन यानी 27 फरवरी को बारात अपने परंपरागत तरीके से निकाली जाएगी। इस बार शिव बारात का थीम महाकुंभ रखा गया है।
महाशिवरात्रि पर एक ओर जहां शिवालयों के सामने लंबी पांतें लगेगी, पंचक्रोशी यात्रा की कतार दिखेगी तो गली-गली शिव बरात भी सजेगी। आरके चौधरी ने बताया कि शोभायात्रा में इस बार विदेशों से भी सैकड़ों भक्त हिस्सा लेंगे। आने वाले भक्तों के ऊपर गंगा से छिड़काव होगा। तिलक लगाकर उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि शिवबारात में भगवान भोले नाथ के भक्त अनोखे रूप में दिखेंगे। बैलगाड़ी पर दूल्हा बने भोलेनाथ होंगे तो बाराती बने काशीवासियों के बीच नागा साधु दिखेंगे। उन्होंने कहा कि शाम 7 बजे बारात महामृत्युंजय मंदिर, दारानगर से उठकर मैदागिन, बुलानाला, चौक, बाबा धाम गोदौलिया होते हुए चितरंजन पार्क तक जाएगी। वहां वधू-पक्ष भांग ठंडई, माला-फूल से बारातियों की अगवानी करेगा।
महामृत्युंजय मंदिर के महंत किशन दीक्षित ने बताया कि महामृत्युंजय मंदिर जहां किसी जमाने में भैरोनाथ की गवहारिनें नकटा गाया करती थीं। इसे ही केंद्र में रखते हुए महामृत्युंजय मंदिर से बरात उठाने और श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में जनवासा लगाने का विचार आ गया। चार दशक पहले पूरी ठसक से दारानगर से निकली शिव बरात नगर के विभिन्न इलाकों समेत देश भर में विस्तार पा गई। किशन दीक्षित ने कहा कि इस बारात की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि अब काशी के आस-पास के इलाके से ही नहीं बल्कि भूटान, मॉरीशस में भी शिव-बारात निकलने लगी है। इस शिव-बारात में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से विदेशी भी बाराती बनने आते हैं।