केंद्र सरकार के नए आपराधिक कानूनों में अग्रिम जमानत के प्रावधानों के दृष्टिगत राज्य सरकार संशोधन अध्यादेश लेकर आई है। मंगलवार को कैबिनेट में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) अध्यादेश 2024 के प्रारूप को मंजूरी दे दी गई। राज्यपाल की सहमति के बाद गृह विभाग इसकी अधिसूचना जारी करेगा।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि गिरफ्तारी की आशंका वाले व्यक्ति की अग्रिम जमानत मंजूर करने के लिए भारतीय सुरक्षा संहिता 2023 में प्रावधान किए गए हैं। इसमें उप्र राज्य की विशिष्ट परिस्थितियों के दृष्टिगत संशोधन किया जाना जरूरी है। इसके लिए राज्य सरकार अध्यादेश लेकर आई है। इसमें प्रदेश सरकार की महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति की वजह से अग्रिम जमानत नहीं होने का प्रावधान किया गया है। इससे महिलाओं और बच्चों के मन में राज्य व विधि की सत्ता के प्रति अटूट विश्वास उत्पन्न किया जा सकेगा।
अग्रिम जमानत नहीं मिलने से यौन अपराधों की विवेचना और जैविक व वैज्ञानिक साक्ष्यों का जल्द संकलन किया जा सकेगा। इसके अलावा पीड़ित अथवा पीड़िता के भय, दबाव आदि की संभावना का निराकरण भी हो सकेगा। इसके तहत पॉक्सो अधिनियम, बलात्कार से संबंधित धारा 64, 65, 66, 68, 69, 70 व 71 के मामले भी शामिल किए गए हैं।
धर्मांतरण, नारकोटिक्स, संगठित अपराध भी दायरे में
अध्यादेश में देश अथवा सरकार विरोधी गतिविधियों (यूएपीए एक्ट), अवैध धर्मांतरण, मादक पदार्थों की तस्करी, संगठित अपराध, ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट को भी शामिल किया गया है। इन मामलों के आरोपियों को भी अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। इसके अतिरिक्त ऐसे मामले में जिनमें मृत्युदंड की सजा हो सकती है, उसमें भी अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी।
इन कानूनों में भी नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत
– विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम
– स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम
– शासकीय गुप्त बात अधिनियम
– उप्र गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम
– उप्र विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम