लखनऊ, 23 नवंबर 2024, शनिवार। उत्तर प्रदेश के कुंदरकी विधानसभा सीट पर बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है। यह सीट 65 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली है, लेकिन बीजेपी के प्रत्याशी ठाकुर रामवीर सिंह ने ‘भाईजान’ मॉडल में उतरकर प्रचार करने का दांव हिट कर दिया है और समाजवादी पार्टी पस्त नजर आई है। कुंदरकी सीट पर रामवीर सिंह भारी मतों से जीत दर्ज की है। यह जीत बीजेपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने 31 साल के बाद कुंदरकी सीट पर कमल खिलाया है। इस जीत के साथ, बीजेपी ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है और यह साबित किया है कि वे उत्तर प्रदेश में एक मजबूत पार्टी हैं।
कुंदरकी में 65 फीसदी मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद, बीजेपी ने यहां अपनी जीत हासिल की है। इससे पहले, समाजवादी पार्टी (सपा) यहां चार बार अपना विधायक बनाने में कामयाब रही थी। लेकिन इस बार, ठाकुर रामवीर सिंह का ‘भाईजान मॉडल’ मुस्लिम मतदाताओं को खूब पसंद आया और सपा की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। यह जीत बीजेपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने 1993 के बाद से यहां अपनी पहली जीत हासिल की है।
कुंदरकी सीट पर बीजेपी ने रामवीर सिंह को उतारा था, जबकि सपा ने पूर्व विधायक हाजी रिजवान को चुनाव मैदान में उतारा था। बसपा से रफातुल्लाह और AIMIM से मो.वारिश भी चुनाव लड़ रहे थे। इस सीट पर 12 प्रत्याशियों में से ठाकुर रामवीर सिंह को छोड़कर सभी मुस्लिम थे। मुस्लिम बहुल सीट होने के कारण कुंदरकी जीतना बीजेपी के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन बीजेपी ने रामपुर उपचुनाव में आकाश सक्सेना को उतारकर मुस्लिमों का एक बड़ा वोटबैंक हासिल करने में सफलता प्राप्त की थी। इसी तरह, बीजेपी ने कुंदरकी सीट पर भी जीत का ताना बाना बुना है, जिसके लिए बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह मुस्लिम रंग में नजर आ रहे हैं।
बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह ने कुंदरकी विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए एक अनोखा दांव चला। उन्होंने जालीदार गोल नमाजी टोपी और गले में सऊदी स्टाइल की चादर ओढ़कर ‘भाईजान’ लुक में प्रचार किया। रामवीर सिंह ने मुस्लिम इलाकों में प्रचार करते समय कुरान की आयत पढ़कर अपने भाषण का आगाज किया। वे अजान की आवाज सुनते ही अपना भाषण रोक देते थे और चुपचाप खड़े रहते थे। अजान खत्म होने के बाद वे फिर से अपना भाषण शुरू कर देते थे।
कुंदरकी में रामवीर सिंह की जीत के पीछे अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने मुस्लिम इलाकों पर खास फोकस किया और मुस्लिमों को अल्लाह की कसम खिलवाकर बीजेपी को वोट देने का वादा लिया। बासित अली ने मुस्लिम गांव में एक नारा दिया था, “टन दूरी है, न खाई है, ठाकुर रामवीर हमारा भाई है”। इसके अलावा, बीजेपी ने तुर्क मुस्लिम बनाम राजपूत मुस्लिम वोटों को साधने का दांव चला, जो उनकी जीत में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
कुंदरकी विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत के पीछे मुस्लिम वोटों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस सीट पर मुस्लिम वोटर 62 फीसदी हैं, जो डेढ़ लाख के करीब हैं। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रामवीर सिंह को पैसे से तौला था और उन्होंने पैसों को अपने माथे से लगाकर लोगों के प्रति अपना आभार जताया। गांव के मुस्लिमों ने रामवीर सिंह से कहा था कि हम इस मिथक को तोड़ देंगे कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देता है।
कुंदरकी में मुस्लिम सियासत पर तुर्क मुसलमानों का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी ने राजपूत मुस्लिमों को साधने में कामयाबी हासिल की है। बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह ठाकुर ने मुस्लिम राजपूत बिरादरी में सेंधमारी के लिए हर दांव चला है और खुद को मुस्लिमों के हमदर्द बताया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि मुस्लिम समुदाय ने जमकर उनके पक्ष में वोटिंग किया है।
कुंदरकी सीट पर बीजेपी ने 31 साल बाद जीत हासिल की है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। इससे पहले 1993 में बीजेपी नेता चंद्रविजय सिंह यहां से जीते थे। इस बार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कमान संभाली और कुंवर बासिल अली और रामवीर सिंह की सियासी जोड़ी ने बीजेपी को जीत दिलाई। हाजी रिजवान की मुसलमानों के बीच मजबूत पकड़ न होना भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुआ। उनके मुस्लिम तुर्क जाति से होने के कारण दूसरी मुस्लिम बिरादरियां बीजेपी के पक्ष में लामबंद हो गईं। इस तरह, बीजेपी ने 65 फीसदी मुस्लिमों के बीच कमल खिलाने में सफलता प्राप्त की।