• 17 नवंबर को पहुंचे तीर्थयात्री 9597कपाट खुलने की तिथि 27 अप्रैल से 17 नवंबर रात्रि तक -1836519
•कपाट बंद की तिथि- आज शनिवार 18 नवंबर अपराह्न 3.33 बजे।2- श्री केदारनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि 25 अप्रैल से कपाट बंद तिथि 15 नवंबर तक कुल तीर्थयात्री 1961027(हेलीकॉप्टर से 141444 तीर्थयात्री भी शामिल) 3-श्री गंगोत्री धामकपाट खुलने की तिथि 22 अप्रैल से कपाट बंद की तिथि 14 नवंबर तक 9048694-श्री यमुनोत्री धामकपाट खुलने की तिथि 22 अप्रैल से कपाट बंद की तिथि 15 नवंबर तक 735244
• 17 नवंबर तक श्री बदरीनाथ-केदारनाथ पहुंचनेवाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या का योग 3797546
• 15 नवंबर तक श्री गंगोत्री-यमुनोत्री पहुंचे तीर्थ यात्रियों की संख्या 1640418 17 नवंबर शाम तक उत्तराखंड चारधाम पहुंचे संपूर्ण तीर्थयात्रियों की संख्या 5437964
चारधाम यात्रा विशेष-
•श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार18 नवंबर को शायंकाल 3 बजकर 33 मिनट पर बंद हो रहे है।
•15 नवंबर भैयादूज श्री केदारनाथ धाम एवं यमुनौत्री जी के कपाट हुए जबकि 14 नवंबर को अन्नकूट पर श्री गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके है।
• चारों धामों में मौसम सर्द हुआ हल्की बारिश एवं बर्फवारी।
• चारधाम यात्रा मार्ग बारिश बर्फवारी के बावजूद सुचारू रहीबदरीनाथ धाम यात्रा निरंतर चल रही चारधाम यात्रा।श्री हेमकुंट साहिब- लोकपाल तीर्थ के कपाट 20 मई को खुले तथा बीते बुद्धवार 11 अक्टूबर 2023 को दोपहर 1 बजे बंद हो गये है। उत्तराखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार 177463 से अधिक श्रद्धालु श्री हेमकुंट लोकपाल तीर्थ दर्शनों के लिए पहुंचे।
• चतुर्थ केदार रूद्रनाथ जी के कपाट शनिवार 20 मई को खुले, बुधवार 18 अक्टूबर प्रात: 8 बजे कपाट बंद हो गये हैं। विग्रह मूर्ति 20 अक्टूबर को गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर पहुंच गयी लगभग पांच हजार ने रूद्रनाथ जी के दर्शन किये।
• द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट सोमवार 22 मई को श्रद्धालुओं को दर्शन हेतु खुले। 22 नवंबर को कपाट शीतकाल हेतु बंद होंगे। अभी तक 12 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये।यात्रा गतिमान है।
• तृतीय केदार श्री तुंगनाथ जी के कपाट 26 अप्रैल को खुलने के बाद यात्रा निरंतर चली। कपाट बंद होने तक एक लाख छत्तीस हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किये।1 नवंबर बुद्धवार को पूर्वाह्न 11 बजे शीतकाल हेतु कपाट बंद हो गये। तथा श्री तुंगनाथ जी की विग्रह देव डोली शुक्रवार 3 नवंबर को शीतकालीन पूजास्थल श्री मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ पहुंची।