N/A
Total Visitor
29.6 C
Delhi
Tuesday, July 1, 2025

‘मंदिरों की तरह चढ़ावा नहीं, लेकिन दरगाहों में तो होता है!’ – वक्फ कानून पर कपिल सिब्बल और CJI गवई की तीखी बहस

नई दिल्ली, 20 मई 2025, मंगलवार। 20 मई मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान तीखी बहस देखने को मिली। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दमदार दलीलें पेश कीं, तो मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामाकृष्ण गवई ने भी उनकी बातों को काटते हुए सवाल उठाए। इस दौरान ‘चढ़ावे’ को लेकर दोनों के बीच रोचक संवाद हुआ, जिसने सुनवाई को और आकर्षक बना दिया।

कपिल सिब्बल की दलील: ‘वक्फ संपत्ति हड़पने का कानून’

कपिल सिब्बल ने वक्फ संशोधन कानून को ‘वक्फ संपत्ति हड़पने का कानून’ करार देते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नया कानून सरकार को मनमानी करने की ताकत देता है, क्योंकि विवाद की स्थिति में सरकार ही फैसला लेगी। सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि मस्जिदों का प्रबंधन वक्फ संपत्तियों से होने वाली आय से होता है, न कि मंदिरों की तरह चढ़ावे से। उन्होंने जोर देकर कहा, “यहां मंदिरों की तरह चढ़ावा नहीं होता।”

CJI गवई का पलटवार: ‘मैंने दरगाह में चढ़ावा देखा है’
सिब्बल की इस दलील पर CJI गवई ने तुरंत टोकते हुए कहा, “मैं दरगाह गया हूं, वहां चढ़ावा चढ़ता है।” इस टिप्पणी ने कोर्टरूम में हल्का-सा ठहराव ला दिया। सिब्बल ने तुरंत जवाब दिया, “जी, दरगाह में चढ़ावा चढ़ता है, लेकिन दरगाह और मस्जिद अलग-अलग हैं।” इस संवाद ने सुनवाई को न केवल गंभीर, बल्कि रोचक भी बना दिया।

वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन: पुराने कागजात कहां से लाएं?

सिब्बल ने वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करने पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि 100-200 साल पुरानी वक्फ संपत्तियों के दस्तावेज ढूंढना असंभव है। उन्होंने पूछा, “इतने पुराने कागजात कहां से आएंगे?” इस पर CJI गवई ने सवाल किया, “क्या पहले के वक्फ कानून में रजिस्ट्रेशन का प्रावधान नहीं था?” सिब्बल ने स्पष्ट किया कि पहले रजिस्ट्रेशन का प्रावधान था, लेकिन उसका न करना संपत्ति को वक्फ न मानने का आधार नहीं था। उन्होंने चिंता जताई कि नए कानून में गैर-रजिस्टर्ड संपत्ति को वक्फ ही नहीं माना जाएगा, जो अन्यायपूर्ण है। CJI ने उनकी इस आपत्ति को नोट किया।

‘वक्फ बाय यूजर’ पर भी बहस

सिब्बल ने ‘वक्फ बाय यूजर’ (उपयोग के आधार पर वक्फ) के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ऐसी संपत्तियों के लिए दस्तावेज देना बेहद मुश्किल है। जवाब में CJI गवई ने बताया कि 1954 के बाद से रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था। सिब्बल ने यह भी जोड़ा कि 1904 और 1958 के पुरातात्विक स्मारक एक्ट में वक्फ संपत्तियों को संरक्षण का प्रावधान है, बिना मालिकाना हक ट्रांसफर किए या धार्मिक गतिविधियों को प्रभावित किए।

पिछली सुनवाई और आगे की राह

पिछली सुनवाई 15 मई को हुई थी, जिसमें CJI गवई की बेंच ने केंद्र सरकार को 19 मई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। आज की सुनवाई में सिब्बल ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों को कमजोर करने की साजिश है। CJI गवई ने सभी दलीलों को ध्यान से सुना और कुछ बिंदुओं को नोट किया, जिससे यह साफ है कि यह मामला अभी और गर्माएगा।

वक्फ संशोधन कानून पर यह सुनवाई न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। कपिल सिब्बल और CJI गवई के बीच ‘चढ़ावे’ पर हुई नोकझोंक ने इस गंभीर बहस में हल्का-सा मनोरंजन जोड़ा, लेकिन सवाल वही है – क्या यह कानून वक्फ संपत्तियों की रक्षा करेगा या उन्हें खतरे में डालेगा? अगली सुनवाई में और क्या मोड़ आएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »