लखनऊ, 23 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियों पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। नगर विकास विभाग द्वारा पंचायतीराज विभाग को लिखे गए एक पत्र ने चुनावी प्रक्रिया में अड़चन पैदा कर दी है। इस पत्र में नगर विकास विभाग ने 21 मई 2025 को जारी शासनादेश को निरस्त करने का अनुरोध किया है, जिसमें नए नगरीय निकायों के गठन और सीमा विस्तार पर रोक लगाई गई थी। इस अनुरोध के चलते पंचायत चुनाव की प्रक्रिया टलने की संभावना बढ़ गई है।
नगर विकास विभाग की मांग और इसका प्रभाव
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने पंचायतीराज विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि नए नगरीय निकायों के गठन और सीमा विस्तार का कार्य रोके जाने पर विभाग असमर्थता जता रहा है। पत्र के अनुसार, वर्ष 2022 में नगरीय निकायों का सृजन और सीमा विस्तार किया गया था, और वर्तमान में 97 नए नगर निकायों के गठन और 107 निकायों के सीमा विस्तार के प्रस्ताव लंबित हैं। इन प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए जनप्रतिनिधियों की ओर से लगातार दबाव बन रहा है।
विभाग ने तर्क दिया है कि पंचायत चुनाव से पहले इन प्रस्तावों को अंतिम रूप देना आवश्यक है, अन्यथा मामला न्यायालय में जा सकता है। इस स्थिति ने पंचायतीराज विभाग की तैयारियों को जटिल बना दिया है, क्योंकि 21 मई के शासनादेश में पंचायत चुनाव तक नगरीय निकायों के सृजन और विस्तार पर रोक लगाई गई थी।
चुनावी तैयारियों पर असर
पंचायतीराज विभाग ने 18 जुलाई से ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के वार्डों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसकी अंतिम सूची 10 अगस्त को जारी होनी थी। हालांकि, नगर विकास विभाग के इस अनुरोध ने प्रक्रिया को बाधित कर दिया है। पंचायतीराज विभाग ने इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग से दिशा-निर्देश मांगे हैं, क्योंकि आयोग वर्तमान में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य कर रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आशंकाएं
इस घटनाक्रम ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाया है कि क्या सरकार नगर सीमा विस्तार के बहाने पंचायत चुनाव टालने की योजना बना रही है। उन्होंने आशंका जताई कि पिछले चुनावों की तरह इस बार भी ग्राम पंचायतों और अन्य पंचायती निकायों में प्रशासक नियुक्त किए जा सकते हैं।
क्या है आगे की राह?
पंचायत चुनाव 2026 के लिए तैयारियां जोरों पर थीं, जिसमें 500 नई ग्राम पंचायतों और 75 नए ब्लॉकों का गठन प्रस्तावित था। राज्य निर्वाचन आयोग ने मतपेटियों के लिए ई-टेंडर जारी कर दिए थे, और जुलाई से मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू होने वाली थी। लेकिन नगर विकास विभाग के पत्र ने इन तैयारियों पर ब्रेक लगा दिया है। यदि 21 मई का शासनादेश निरस्त नहीं हुआ, तो वार्ड परिसीमन और आरक्षण की प्रक्रिया में देरी हो सकती है, जिससे पंचायत चुनाव के लिए अप्रैल-मई 2026 में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में देरी होने की आशंका जताई जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है
पंचायतीराज विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नगर विकास विभाग का यह कदम प्रशासनिक और कानूनी जटिलताएं पैदा कर सकता है। यदि नगरीय निकायों के गठन और विस्तार का कार्य समय पर पूरा नहीं हुआ, तो पंचायत चुनावों की तारीखें घोषित करने में और देरी हो सकती है।
संभावित परिणाम
यह स्थिति न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी बाधित कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार के बीच समन्वय की कमी के कारण यह अनिश्चितता पैदा हुई है।
आगामी कदम
पंचायतीराज विभाग ने इस मुद्दे पर राज्य निर्वाचन आयोग से मार्गदर्शन मांगा है। आयोग के दिशा-निर्देशों के आधार पर ही इस मामले में आगे का फैसला लिया जाएगा। फिलहाल, पंचायत चुनाव की तारीखों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।