इंदौर, 23 जुलाई 2025: नदियों के उद्गम स्थलों पर बढ़ती चुनौतियों और जंगलों के विनाश को नदियों के सूखने का प्रमुख कारण बताते हुए मध्य प्रदेश के पंचायत-ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि जल, जंगल और जमीन का संरक्षण सतत पर्यावरणीय विकास की नींव है। वे स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के ‘रूबरू’ कार्यक्रम में मीडियाकर्मियों से चर्चा कर रहे थे।
मंत्री पटेल ने कहा कि नदियाँ पहले बारहमासी होती थीं, लेकिन उजड़ते जंगलों के कारण उनके उद्गम स्थल से ही संघर्ष शुरू हो जाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नदियों और जंगलों का संरक्षण एक साथ करना होगा। साथ ही, केवल दिखावे के लिए पौधारोपण करने के बजाय पौधों को वृक्ष बनने तक संरक्षित करने का संकल्प लेना होगा।

उन्होंने बताया कि पंचायत-ग्रामीण विकास मंत्रालय जमीन मालिकों को फलदार और छायादार वृक्ष लगाने के लिए सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करता है। तीन साल में लगाए गए पौधे अगले 3-4 वर्षों में फल देने लगते हैं।
पटेल ने अपने निजी अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनका नदियों से बचपन से गहरा नाता रहा है। गंगा संवर्धन अभियान के तहत वे मध्य प्रदेश की 90 से अधिक नदियों के उद्गम स्थलों का दौरा कर चुके हैं और यह यात्रा निरंतर जारी है। उन्होंने आदिवासी समुदाय की परंपराओं का जिक्र करते हुए बताया कि वे साल में तीन बार नदी उद्गम स्थलों पर पूजन कर अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत में स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, पंकज क्षीरसागर, रवि चावला, आकाश चौकसे और गणेश चौधरी ने मंत्री पटेल का स्वागत किया। रचना जौहरी, मीना राणा शाह और सोनाली यादव ने उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया।