प्रयागराज, 8 जनवरी 2025, बुधवार। उत्तर प्रदेश का प्रयागराज एक अद्भुत, भव्य और दिव्य स्थल है, जहां महाकुंभ का आयोजन होता है। इस वर्ष 2025 में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से 200 साल पहले कुंभ में कितने श्रद्धालु आते थे और उनसे लगान वसूला जाता था?
मुगल काल में अकबर ने कुंभ में टैक्स लेना शुरू किया, लेकिन विरोध के बाद यह आदेश वापस ले लिया गया। इसके बाद अंग्रेजों ने कुंभ में टैक्स की शुरुआत की। उन्होंने 1810 के रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत माघ मेले में टैक्स वसूली शुरू की।
अंग्रेजों का मुख्य उद्देश्य था कि कुंभ की एकजुटता से उनके खिलाफ क्रांति ना पनप जाए। उन्होंने 1870 से महाकुंभ की आधिकारिक कमान अपने हाथों में ली और 1882, 1894, 1906, 1918 और 1930 तक टैक्स के साथ कुंभ आयोजन किया।
एसके दुबे की किताब ‘कुंभ सिटी प्रयाग’ के अनुसार, 1882 में अंग्रेज कुंभ में आने वाले हर यात्री से सवा रुपए का लगान वसूलते थे। यह राशि उस समय में एक परिवार के पूरे महीने के राशन का इंतजाम करने के लिए काफी थी।
आज से 200 साल पहले, 1796 से 1808 तक हुए कुंभ आयोजनों में 2 से 2.5 मिलियन तक श्रद्धालु पहुंचे थे। जबकि इस वर्ष लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी में डुबकी लगाएंगे। महाकुंभ न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारतीय समाज को आर्थिक रूप से भी मजबूत बनाता है।