वाराणसी, 27 अक्टूबर 2024, रविवार। सात वार में नौ त्योहार मनाने वाली काशी में उत्सवों का उल्लास इन दिनों चरम पर है। शिव की नगरी काशी में दीपावली का आयोजन देव दीपावली तक माना गया है। काशीपुराधिपति की नगरी में अन्नकूट का पर्व दिवाली के बाद मनाने की धार्मिक मान्यता रही है। पुराणों के मुताबिक द्वापर युग में सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण के कहने पर ही गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई थी। तभी से मंदिरों में भगवान को 56 प्रकार के भोग लगाकर अन्नकूट महोत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है।

अन्नपूर्णा मंदिर
शास्त्रों के मुताबिक इस दिन सुख सौभाग्य समृद्धि का द्वार खुलता है। इस दिन घर के दरवाजे के समीप गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है। दिवाली में देवों का विधिवत पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा किया जाता है विभिन्न प्रकार के व्यंजन पकवान मिष्ठान आदि का भोग भगवान को अर्पित किया आता है। काशी में अन्नकूट की तैयारियां अब अंतिम दौर में हैं। कहीं लड्डुओं के मंदिर बनेंगे तो कहीं छप्पन भोग की झांकी सजेगी। मंदिरों में छप्पन भोग तो तैयार हो रही हैं, घरों में भोग की थाली तैयार होगी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, मां अन्नपूर्णा, मां विशालाक्षी, बड़ा गणेश, स्वामी नारायण मंदिर सहित धर्मसंघ परिसर स्थित मणिमंदिर में भव्य रूप में अन्नकूट की झांकी सजाई जाएगी।

स्वामी नारायण मंदिर