मुंबई, 25 नवंबर 2024, सोमवार। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, लाडकी बहिन योजना की सफलता ने महिला वोटर्स के बीच भाजपा को पहली पसंद बना दिया। इसके अलावा, बीजेपी-आरएसएस के बीच बेहतर तालमेल ने चुनाव अभियान में अच्छे परिणाम दिए। अजित पवार का रिवाइवल भी एक महत्वपूर्ण कारक था, जिन्होंने अपनी पार्टी एनसीपी को फिर से मजबूत किया। लीडरशिप का लाभ भी महायुति को मिला, जिसमें देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कांग्रेस को झटका लगना और राहुल गांधी का मौका गंवाना भी महत्वपूर्ण कारक थे। इसके अलावा, शरद पवार और उद्धव ठाकरे को झटका लगना और नो काउंटर नैरेटिव न होना भी महत्वपूर्ण कारक थे।
कांग्रेस की रणनीति ने भाजपा को दिलाई जीत!
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, भाजपा ने अपनी हार पर माथा-पच्ची की और मंथन हुआ कि किन मुद्दों पर भाजपा पिछड़ी। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने संविधान की प्रति लेकर बताया कि संविधान बदलने के मुद्दे पर उन्होंने भाजपा को घेर लिया था। इससे दलित-पिछड़े मतदाता घबरा गए थे कि भाजपा ने ऐसा कर दिया तो उनका आरक्षण समाप्त हो जाएगा। इसके अलावा, कांग्रेस के सबसे बड़े सहयोगी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने पीडीए को संगठित करने पर जोर दिया। पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। यह जादू चल गया और लोकसभा में भाजपा 240 सीटों पर आकर अटक गई।
महाराष्ट्र में भाजपा की जीत का राज: कैसे बदली भाजपा की रणनीति और क्यों हार गई विपक्ष?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, भाजपा ने अपनी पिछली भूलों से सबक लिया और जमीनी मुद्दों पर फोकस किया। फ्री राशन, किसान कल्याण निधि और राम मंदिर जैसे मुद्दे हवाई साबित हुए थे, इसलिए भाजपा ने अपनी रणनीति बदली। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत ने उन्हें आत्मविश्वास दिया, लेकिन महाराष्ट्र में सामने एक मजबूत गठबंधन था। शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं के बावजूद भाजपा गठबंधन ने जीत हासिल की। कांग्रेस की कमजोरी और नेताओं के बीच लड़ाई ने भी भाजपा को फायदा पहुंचाया।
महाराष्ट्र में भाजपा की धमाकेदार जीत: एकनाथ शिंदे की ‘लड़की बहना योजना’ ने कैसे पलट दिया चुनाव का रुख?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ‘एक हैं तो सुरक्षित हैं’ जैसे नारे देकर जनता को एकता का सन्देश दिया गया। इसके अलावा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ‘लड़की बहना योजना’ ने कमाल दिखा दिया और महिला वोटरों को आकर्षित किया। महाराष्ट्र में भाजपा की जीत में एकनाथ शिंदे की नियुक्ति का भी बड़ा योगदान रहा। शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना का एक हिस्सा भाजपा के साथ आया, जिससे पार्टी को मजबूती मिली। इसके अलावा, आरएसएस का मैदान पर उतरना भी एक बड़ा कारक था, जिसने 60,000 से अधिक बैठकें आयोजित कीं और ‘सजग रहो, जागते रहो’ नामक अभियान शुरू किया।
देवेंद्र फडणवीस की रणनीति ने कैसे बदल दिया चुनाव का रुख?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की है। भाजपा को 132 सीटें मिलीं, जबकि एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना (शिंदे) को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 40 सीटें मिलीं। इस तरह, एनडीए गठबंधन (महायुति) ने कुल 230 सीटें हासिल कीं। इसके विपरीत, कांग्रेस गठबंधन महा विकास अघाड़ी को केवल 46 सीटें मिलीं। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में 13 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते। उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 20, कांग्रेस को 16 और शरद पवार की एनसीपी को 10 सीटें मिलीं। शरद पवार इस चुनाव में सबसे ज्यादा पिछड़े, और उन्होंने अपनी परंपरागत सीट बारामती में कहा था कि यह उनका आखिरी चुनाव प्रचार होगा।
‘लड़की बहन योजना’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारे ने कैसे पलट दिया चुनाव का रुख?
भाजपा गठबंधन सरकार की कई योजनाएं लोगों को खूब पसंद आईं। इनमें से सबसे प्रमुख रही ‘लड़की बहन योजना’। इस योजना के तहत गरीब परिवार की महिलाओं के खाते में हर महीने 1500 रुपये जमा किए जाते थे। इससे महिलाओं में मतदान के समय का उत्साह देखने लायक था। इसके अलावा, केंद्र सरकार की वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य योजना का लाभ भी लोगों को मिला। किसानों के लिए मुफ्त बिजली और युवाओं के लिए इंटर्नशिप योजना जैसी योजनाएं भी लोगों को पसंद आईं। हिंदुओं को एक करने का प्रयास भी रंग लाया। उत्तर प्रदेश की तर्ज पर यहां नारा दिया गया, ‘एक हैं तो सेफ हैं’। इससे पहले उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने नारा दिया था, ‘बटेंगे तो कटेंगे’। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसमें संशोधन किया और नया नारा आया, ‘एक हैं तो सेफ हैं’।