तेहरान, 17 जून 2025, मंगलवार: ईरान की धरती पर उस दिन नियति ने अपना फैसला सुना दिया था, जब एक पिता को केवल एक सरकार विरोधी सोशल मीडिया पोस्ट के लिए उसकी मासूम बेटी के सामने फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। वह पिता, अपने अंतिम क्षणों में, अपनी बेटी की आंखों में आंखें डालकर मुस्कुराता रहा, ताकि उसका हौसला न टूटे। यह दृश्य न केवल दिल दहलाने वाला था, बल्कि उस क्रूर व्यवस्था की तस्वीर थी, जो अपने ही लोगों को कुचलने में गर्व महसूस करती है।
यह कोई इकलौता वाकया नहीं है। ईरान में ऐसी अनगिनत घटनाएं हैं, जिन्होंने दुनिया भर के लोगों (शायद कुछ अपवादों को छोड़कर) के दिलों को झकझोर दिया। बुरका न पहनने की सजा में महिलाओं के बाल काट दिए गए, उन्हें नंगा घुमाया गया, और इतना पीटा गया कि वे अस्पतालों में तड़प-तड़प कर दम तोड़ देती हैं। बच्चों और महिलाओं के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार उस संस्कृति को दर्शाता है, जो सम्मान और मानवता से कोसों दूर है।
इन अत्याचारों ने न केवल ईरान की जनता को, बल्कि पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि ऐसी व्यवस्था का अंत अनिवार्य है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू शायद इस बर्बादी के केवल एक माध्यम बन रहे हैं, लेकिन असल में यह उस व्यवस्था का परिणाम है, जो अपने ही लोगों के खून से रंगी हुई है।
जब कोई संस्कृति अपने बच्चों और महिलाओं का सम्मान नहीं करती, उसका पतन तय है। ईरान की यह कहानी अब अपने अंत की ओर बढ़ रही है, और दुनिया यह देखने को बेताब है कि क्या यह क्रूर शासन अपनी गलतियों से सबक लेगा, या इतिहास के पन्नों में एक और दुखद अध्याय बनकर रह जाएगा।