निर्भया की मां का दर्द: 12 साल बाद भी नहीं बदले हालात
नई दिल्ली, 16 दिसंबर 2024, सोमवार। निर्भया की दर्दनाक कहानी ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। 16 दिसंबर 2012 की रात को दिल्ली की सड़क पर चलती बस में निर्भया के साथ गैंग रेप किया गया था। यह घटना इतनी दर्दनाक थी कि निर्भया की जिंदगी की जंग 13 दिनों बाद हार गई और 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
निर्भया की मां ने हाल ही में अपना दर्द बयां किया है और बताया है कि 12 साल हो गए हैं, लेकिन हालात अब भी वैसे ही हैं जैसे तब थे। यह बात हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा की कमी को दूर कर सकते हैं? निर्भया के दोषियों को सजा दिलाने में 8 साल का लंबा समय लगा था और साल 2020 में उन्हें फांसी दी गई। यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि न्याय प्रणाली में देरी हो सकती है, लेकिन न्याय मिलना जरूरी है।
12 साल बाद भी निर्भया की मां के मन में है ये दर्द
निर्भया की मां आशा देवी ने सवाल किया कि क्या हम अपने समाज में महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं? 12 साल हो गए हैं जब निर्भया के साथ उस दर्दनाक घटना को अंजाम दिया गया था, लेकिन आशा देवी की बातें बताती हैं कि हालात अब भी वैसे ही हैं जैसे तब थे। आशा देवी की बातें हमें यह याद दिलाती हैं कि महिला सुरक्षा के मुद्दे पर हमें अभी भी बहुत काम करना है। हमें अपने समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देना होगा। यह एक लंबी और कठिन लड़ाई है, लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए। हमें एक साथ मिलकर इस लड़ाई को लड़ना होगा और अपने समाज में महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।
निर्भया केस: एक दर्दनाक घटना जिसने पूरे देश को हिला दिया
16 दिसंबर 2012 की उस काली रात को कौन भूल सकता है, जब दिल्ली में एक युवती के साथ चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया और उसे बिना कपड़ों के ठिठुरती सर्द रात में बस से बाहर फेंक दिया गया। इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। उस रात, 23 वर्षीय छात्रा, जिसे बाद में “निर्भया” नाम दिया गया, अपने मित्र के साथ बस में सवार हुई थी। बस में पहले से ही छह लोग मौजूद थे, जिन्होंने निर्भया और उसके मित्र के साथ मारपीट की और निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया। इस घटना के बाद, निर्भया को गंभीर चोटें आईं और उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया और निर्भया के लिए न्याय की मांग ने आंदोलन का रूप ले लिया।
इस मामले में छह व्यक्ति आरोपी बनाए गए, जिनमें से एक नाबालिग था। मामले के एक आरोपी राम सिंह ने सुनवाई शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। नाबालिग को सुनवाई के बाद दोषी ठहराया गया और उसे सुधार गृह भेज दिया गया। तीन साल तक सुधार गृह में रहने के बाद उसे 2015 में रिहा कर दिया गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार 20 मार्च 2020 को इस मामले के चार दोषियों को फांसी दी गई। यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि न्याय प्रणाली में देरी हो सकती है, लेकिन न्याय मिलना जरूरी है।