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Thursday, June 19, 2025

काशी के घाटों का दर्द: गंगा किनारे बढ़ता खोखलापन

वाराणसी, 2 मई 2025, शुक्रवार। काशी की आत्मा, गंगा के पक्के घाट, वर्षों से समय और प्रकृति की मार झेल रहे हैं। इन घाटों के दरकने का सिलसिला अब दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता जा रहा है। ताजा मामला हनुमानगढ़ी घाट का है, जहां सक्का घाट के निकट गंगा की अंतिम सीढ़ी के नीचे खतरनाक खोखलापन उजागर हुआ है। यह दृश्य न केवल चिंताजनक है, बल्कि काशी की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की तत्काल जरूरत को भी रेखांकित करता है।

गर्मी और घटता जलस्तर: उजागर हुई कमजोरी

बढ़ती गर्मी के साथ गंगा का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। इसने हनुमानगढ़ी घाट की आखिरी सीढ़ी के नीचे की मिट्टी को पूरी तरह उघाड़ दिया है। घाट के एक छोर से दूसरे छोर तक मिट्टी खिसक चुकी है, और कंक्रीट का एक बड़ा स्लैब टूटकर पानी में समा गया। पिछले साल की बाढ़ के बाद यह खोखलापन पहली बार लोगों की नजर में आया। स्थानीय लोग अब इस घाट की स्थिति को लेकर आशंकित हैं, क्योंकि यह न केवल उनकी आस्था का केंद्र है, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी का भी हिस्सा है।

सुंदरीकरण की चमक, लेकिन अनदेखी की मार

हैरानी की बात यह है कि हनुमानगढ़ी घाट से थोड़ी दूरी पर स्थित तेलियानाला घाट पर सुंदरीकरण का काम जोरों पर है। वहां पत्थर के भव्य मंडप बन रहे हैं, टूटे पत्थरों को बदला जा रहा है, लेकिन हनुमानगढ़ी घाट की बदहाली पर किसी का ध्यान नहीं। यह विडंबना काशी के घाटों की देखभाल में प्राथमिकताओं के असंतुलन को उजागर करती है।

नदी विज्ञान की चेतावनी

नदी विज्ञानी प्रो. यूके चौधरी बताते हैं कि गंगा के पूर्वी किनारे पर लगातार जमा हो रही रेत घाटों पर पानी के दबाव को बढ़ा रही है। बाढ़ का पानी जब उतरता है, तो यह सीढ़ियों के नीचे जमा मिट्टी को बहा ले जाता है, जिससे घाटों की नींव कमजोर हो रही है। यह प्राकृतिक प्रक्रिया और मानवीय उपेक्षा का मिला-जुला परिणाम है, जो काशी के इन ऐतिहासिक घाटों के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है।

आगे क्या?

हनुमानगढ़ी घाट की स्थिति काशी के अन्य घाटों के लिए भी एक चेतावनी है। यदि समय रहते इन घाटों की मरम्मत और संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया, तो हम अपनी सांस्कृतिक विरासत का एक अनमोल हिस्सा खो सकते हैं। गंगा के किनारे बसे इन घाटों की कहानी केवल पत्थर और मिट्टी की नहीं, बल्कि काशी की आस्था, संस्कृति और इतिहास की है। अब जरूरत है एक ठोस कार्ययोजना की, जो इन घाटों को न केवल बचाए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संजोकर रखे।

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