✍️हसमुख उवाच
कहा जाता है कि चीन में अफीम की खेती होती रही है, अफीम एक नशा है जिस पर चढ़ जाए उसके दिमाग की बत्ती गुल हो जाती है! भारत में भी अफीम से मिलती जुलती किस्म की उत्पत्ति हुई है, यह अफीम अब ब्रांड बन चुकी है, इसे सेक्युलर वाद कहा जाता है, और इसकी उत्पति विधिवत रूप से १९७६मे संविधान के माध्यम से हुई! सेक्युलर वाद का सेवन करने वाले देशभक्ति और राष्टवाद से परहेज रखते हैं! इस सेक्युलर वाद के अफीमची को देशभक्त और राषटवादी सांप्रदायिक नजर आते हैं और साम्प्रदायिक पीड़ित, गरीब, उपेक्षित न जाने क्या क्या नजर आते है!
सेक्युलर वादी बड़े भाग्य शाली है, देश भले ही १९४७मे आजाद हुआ हो मगर देश के पहले कर्णधार १९४६में हीअंगरेजो से शपथ ग्रहण करवा कर देश के प्रधानमंत्री बन गये! बहरहाल १९७६आते आते सेक्युलर अफीम का नशा संवैधानिक बन गया, सन १९४७से ही सेक्युलर वाद की मुर्गी ने अपने अंडे देना शुरू कर दिया, पहला अंडा पाकिस्तान कहलाया, सेक्युलर वाद की मुर्गी ने फिर और भी अंडे दिए,इसमें से जो चूजे निकले वे सब भिन्न भिन्न राजनीतिक दलों के रूप में
सामने आए! इन दलों के नाम भले ही अलग अलग थे परंतु नस्ल एक ही थी, मतलब कि ये सब भी सेक्युलर नसल के थे,चूजे फिर मुर्गी मुर्गा बन गये, नये अंडों से नये चूजे निकलते गये, इन्हीं चूजों से फिर मुर्गी मुर्गा बने और सेक्युलर रूपी अफीम का नशा देश के बड़े भाग में छा गया! इस नशे के कारण गौहत्या सांप्रदायिक मुद्दा हो गया, आंतकवादी भटका हुआ नौजवान हो गया, बलात्कारी को भी कहा जाने लगा कि _”लड़के हैं,गलती हो ही जाती है ‘इस सेक्युलर वाद की महिमा क्या कहें इससे ही समझ लीजिए कि जब भी कोई गौहत्याएं देखकर बिलबिलाता या देश की असुरक्षा पर छटपटाता तो उसे सेक्युलर वाद की मीठी गोली दे कर सुला दिया जाता!
अब आगे की दास्तां मुलाहिजा फरमाएं _पाकिस्तान के रूप में जो सेक्युलर वाद का जो पहला अंडा था उसमें से बारी बारी कयी फौजी जनरल निकले, सब हिंदुस्तान से अपनी नस्ल के अनुसार नफरत करने वाले थे, कयी रूपों में इन्होने भारत हमले किए मगर भारत की सेना ने इन सबको घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया और इनकी पैन्ट और कच्छे तक १९७१में उतरवा दिए!फिर भी ये बाज नही आए, इन्होने पाकिस्तान में आंतकवाद की फैक्ट्री खोली,कशमीर और भारत के कयी हिस्सों में आतंकी भेज भेज कर देश को घायल किया, भारत में सेक्युलर ब्रांड की मुर्गा बिरादरी इनके बहुत काम आती रही इसलिए पाकिस्तान की आंतकी फैक्ट्री में आतंकियों का उत्पादन होता रहा, परंतु इनके दुर्भाग्य से २०१४में इन सेक्युलर वादियों के पिता जी की सरकार बन गयी, सेक्युलर अफीमचियों को तेज झटका लगा, खानदानी सेक्युलर और उनकी अन्य मुर्गा बिरादरी हाथ धोकर ही नहीं वरन नहा धोकर पिता जी के पीछे पड़ गई, पिता जी का बालबांका नहीं हो सका,उन्होंने और तेजी से इन अफीमचिओ की छाती पर मूंग दलना जारी रखा!
आज स्थिति यह है कि सेक्युलर वाद का पहला अंडा पाकिस्तान और उसके फौजी जनरल अपनी खोपड़ी चारों तरफ घुमा घुमा कर देख रहैं हैं कि पिता जी किधर से हमला करेंगे! पसीना पौंछने के लिए जेब से रूमाल ढूंढ रहे है, उनकी टांगे मस्तिष्क से बगावत करके मनमानी पर उतर आईं हैं, यानी कांपना ही बंद नहीं कर रही है! यह सब देखकर इनकी ही मुर्गा बिरादरी के सेक्युलर वादी अपनी खुन्नस पिता जी पर निकाल रहे है, कैसे अपने बाल नोंच रहे है, कैसे बयान उनके श्रीमुख से निकल रहे है यह प्रसतुत है__”इनमे पहले हैं बनारस के नेता अजय राय, ये रफेल पर नींबू मिर्च लगा कर देश की मजाक उड़ा रहे है, जिससे उनकी सेक्युलर बिरादरी का पाकिस्तान और उसका मीडिया बड़ा खुश हो रहा है, कोई बात नही, भारत में पाकिस्तान के ऐसे कयी कीटाणु बम हैं जिनमें से एक ये बनारसी नेता जी भी हैं!
दूसरे हैं फारुख अब्दुला,ये पिता जी से सबसे ज्यादा खुन्नस खाए बैठे हैं इसका कारण यह है कि धारा ३७०पर इन्होने कह दिया था कि‘पिता जी दस बार भी प्रधानमंत्री बन जाए तो भी धारा ३७०नही हटा सकेगा “मगर पिता जी ने पहली बार ही प्रधानमंत्री बन कर धारा ३७०हटा दी, फारुख अब्दुला अपनी खोपड़ी खुजाते रह गये, ये फारुख अब्दुला पाकिस्तान के आंतकवाद परहमेशा कहा करते_” हमसे बात करो और पाकिस्तान से बात करो! “भारत में इन्होने पाकिस्तान का भाव इतना बढ़ाया कि पाकिस्तान में अभाव ही अभाव हो गया, अब भी भारत के पाकिस्तानियों को वापस भेजे जाने पर बिलबिला उठे हैं, ,लेकिन सन ९९मे कशमीरी हिंदुओ को भगाए जाने पर कहते हैं कि ” जो हुआ सो हुआ! “
सेक्युलर वाद के एक नशेड़ी और हैं जो विदेश में रह कर भारत के मेन अफीमची के सलाहकार हैं, उनका नाम है “सैम पैत्रोदा,इनके भी बड़े निर्मम विचार है १९८४में हुआ सिख नरसंहार इनके लिए कोई मायने नहीं रखता, इनके विचार भी फारुख अब्दुला जैसे हैं, सिख नरसंहार पर ये कहते हैं कि “जो हुआ सो हुआ! “
भारत और पाकिस्तान में एक सी सेक्युलर प्रजाति हैं, यहाँ की प्रजाति वही बोलती है जो पाकिस्तान की प्रजाति बोलती है, हमेशा कोरस गाया जाता रहता है, एक ही सुर, एक ही ताल, एक ही लय, एक ही ताल में यहाँ के कीटाणु बमों का आलाप और प्रलाप दोनों चलते हैं, पाकिस्तान भी सेक्युलर है,उसने वहां के अल्पसंखकों को खत्म कर दिया, देश में फैले सेक्यूलरो ने यहाँ के बहुसंख्यकों समाप्त करने का बीड़ा उठा रखा है, परंतु सेक्युलर वाद की अफ़ीम का सेवन करने वालों को अपनी ही सेहत से खिलवाड़ करना उचित नहीं है, नशे कापरिणाम बुरा होता है, नशेड़ी को चार कंधो पर सवार करवाकर शमशान पंहुचा देताहै!
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