मंडी, 24 अगस्त 2025: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की चौहार घाटी में स्टाफ नर्स कमला देवी ने अपनी ड्यूटी के प्रति अद्भुत समर्पण और साहस का परिचय दिया है। बादल फटने और भारी बारिश से उत्पन्न बाढ़ व भूस्खलन के बीच, जब सड़कें और पुल बह चुके थे, कमला देवी ने जान जोखिम में डालकर उफनते स्वाड़ नाले को छलांग लगाकर पार किया और हुरंग गांव पहुंचकर एक-दो माह के शिशुओं को जीवनरक्षक टीके लगाए। उनकी इस बहादुरी ने न केवल स्थानीय लोगों का दिल जीता, बल्कि पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक प्रेरणा बन गई है।
प्राकृतिक आपदा में भी डटी रहीं ड्यूटी पर
चौहार घाटी में लगातार बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था। सड़कें ध्वस्त हो चुकी थीं, और नाले-खड्ड उफान पर थे। ऐसे में स्वास्थ्य खंड पद्धर के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुधार में तैनात कमला देवी को सूचना मिली कि हुरंग गांव में शिशुओं का टीकाकरण जरूरी है। बीएमओ पद्धर डॉ. संजय गुप्ता के अनुसार, 18 अगस्त की रात कोरतंग और कुंगड़ी क्षेत्रों में अचानक आई बाढ़ ने स्थिति को और जटिल कर दिया था। फिर भी, कमला देवी ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने वैक्सीन का डिब्बा कंधे पर उठाया और खतरनाक नाले को पार कर गांव पहुंचीं।
स्थानीय लोगों ने की प्रशंसा
हुरंग गांव के निवासियों ने कमला देवी के साहस को अभूतपूर्व बताया। एक ग्रामीण ने कहा, “ऐसी विपदा में कोई भी घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करता, लेकिन कमला जी ने न केवल अपने कर्तव्य को निभाया, बल्कि हमारे बच्चों की जिंदगी बचाई।” उनकी इस निस्वार्थ सेवा को स्वास्थ्य विभाग ने भी सराहा है। डॉ. संजय गुप्ता ने कहा, “कमला देवी का यह कदम अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रेरणादायी है।”
प्रदेश में प्रेरणा बनीं कमला
कमला देवी की यह कहानी न केवल चौहार घाटी, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश में प्रेरणा का स्रोत बन गई है। प्राकृतिक आपदा के बीच अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी निभाने वाली इस नर्स ने साबित कर दिया कि जिम्मेदारी और मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं। स्वास्थ्य विभाग अब उनके इस कार्य को सम्मानित करने पर विचार कर रहा है।