वाराणसी, 7 अगस्त 2025: सपनों की जमीन दिलाने के नाम पर निवेशकों को ठगने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। नीलगिरी इंफ्रासिटी के सीएमडी विकास सिंह, एमडी रितु सिंह और मैनेजर प्रदीप यादव के खिलाफ चेतगंज थाने में धोखाधड़ी के दो ताजा मुकदमे दर्ज हुए हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है; कंपनी के खिलाफ पहले भी 80 से अधिक शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, और इसके निदेशक जेल की हवा भी खा चुके हैं। फिर भी, ठगी का यह खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा।
निवेशकों की शिकायत: पैसा गया, जमीन नहीं मिली
सारनाथ के पहड़िया गनपत नगर निवासी संजय सेठ ने पुलिस को बताया कि विकास सिंह और प्रदीप यादव ने उन्हें पड़ाव में जमीन दिलाने का लालच दिया। इसके लिए उनसे 7,70,314 रुपये जमा करवाए गए, और चार लाख रुपये रजिस्ट्री के समय देने की बात कही गई। लेकिन न तो जमीन का कोई अता-पता है और न ही उनका पैसा लौटाया गया।
इसी तरह, लंका थाना क्षेत्र के नगवा गंगोत्री नगर निवासी डॉ. गुलाबचंद राय ने भी अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि चार साल पहले महमूरगंज के महाराजा नगर कॉलोनी निवासी विकास सिंह, रितु सिंह और प्रदीप यादव को अपने बेटे अभिषेक राय और बहू आशा राय के नाम पर जमीन खरीदने के लिए 7,79,620 रुपये दिए। बाद में पता चला कि यह रकम तीनों ने मिलकर हड़प ली।
पुलिस की कार्रवाई और पुराना रिकॉर्ड
चेतगंज थाने के इंस्पेक्टर दिलीप कुमार मिश्रा ने गुरुवार को मामले की पूरी जानकारी देते हुए बताया कि दोनों शिकायतों के आधार पर मुकदमे दर्ज कर लिए गए हैं, और जांच शुरू हो चुकी है। गौरतलब है कि नीलगिरी इंफ्रासिटी के खिलाफ पहले भी चेतगंज थाने में 80 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। कंपनी के सीएमडी, एमडी और मैनेजर जेल भी जा चुके हैं, लेकिन ठगी का यह सिलसिला बदस्तूर जारी है।
निवेशकों में आक्रोश, सवालों के घेरे में कंपनी
नीलगिरी इंफ्रासिटी के खिलाफ बार-बार दर्ज हो रहे मुकदमों ने निवेशकों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक इस तरह की ठगी चलती रहेगी? क्या प्रशासन और कानून इस धोखाधड़ी के खेल को पूरी तरह रोक पाएगा? फिलहाल, पीड़ित निवेशक इंसाफ की उम्मीद में पुलिस और अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं।
यह मामला एक बार फिर रियल एस्टेट के नाम पर होने वाली ठगी को उजागर करता है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे किसी भी कंपनी में पैसा लगाने से पहले उसकी पूरी जांच-पड़ताल करें, ताकि उनके मेहनत की कमाई को इस तरह लुटने से बचाया जा सके।