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Monday, August 11, 2025

संभल का रहस्यमय इतिहास: मंदिर, मस्जिद और बावड़ी के बीच धार्मिक मान्यताओं का संगम!

संभल, 31 दिसंबर 2024, मंगलवार। उत्तर प्रदेश का संभल जिला धार्मिक मान्यताओं को लेकर चर्चा में है, जहां मंदिर, मस्जिद और बावड़ी सुर्खियों में हैं। हाल ही में मुस्लिम बाहुल्य इलाके में बिजली चोरी की जांच के दौरान एक मंदिर मिला, जिसमें हनुमान जी की मूर्ति और शिवलिंग पाए गए। इसके अलावा, संभल के पास चंदौसी में 150 साल पुरानी ऐतिहासिक बावड़ी का पता चला, जिसकी खुदाई शुरू हो गई है।
संभल का इतिहास धार्मिक मान्यताओं की ओर इशारा करता है, जो चारों युगों में अस्तित्व में रहा है। सतयुग में इसका नाम सत्यव्रत, त्रेता में महादगिरि, द्वापर में पिंगल और कलयुग में संभल कहा गया। संभल का ऐतिहासिक महत्व दिल्ली सल्तनत काल से लेकर मुगलकाल तक बहुत प्रमुख रहा है, जो उत्तरी भारत का एक महत्वपूर्ण केंद्र था और अनेक शासकों के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से बहुत जरूरी साबित हुआ।
यह जिला 28 सितंबर 2011 को भीमनगर के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन 23 जुलाई 2012 को इसका नाम बदलकर संभल कर दिया गया। संभल की जनसंख्या में मुसलमानों की संख्या अधिक है, और यहां की बोली में उर्दू और हिंदी का मिश्रण देखा जा सकता है।

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