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Sunday, November 17, 2024

वाराणसी में शराब कारोबारी के परिवार की हत्या ने 27 साल पुराने राज खोल दिए

वाराणसी, 9 नवंबर 2024, शनिवार। वाराणसी में गुप्ता परिवार के पांच सदस्यों राजेंद्र गुप्ता (45), पत्नी नीतू गुप्ता (42), उनके दो बेटे नवनेंद्र (25) और सुबेंद्र (15) और बेटी गौरांगी (16) की हत्या ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। क्या परिवार के मुखिया राजेंद्र गुप्ता ने खुद को गोलियां मारीं, या मामला कुछ और है? पुलिस द्वारा शुरुआती जांच में इसे आत्महत्या माना जा रहा था, लेकिन कई सबूतों और नए खुलासों के बाद अब इसे एक सुनियोजित हत्याकांड का शक है। तो वहीं, शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता और उनके पूरे परिवार की हत्या ने 27 साल पुराने राज खोल दिए हैं।
इस हत्या के पीछे की कहानी बहुत ही दिलचस्प और डरावनी है। राजेंद्र गुप्ता पर 1997 में अपने भाई कृष्णा और भाभी की हत्या का केस चला था। इसके बाद उनके पिता और गार्ड की हत्या का केस भी कोर्ट में पहुंचा। लेकिन राजेंद्र को इन केसों में फायदा मिल गया जब उनकी मां शारदा देवी ने गवाही बदल दी। लेकिन लगता है कि इस हत्या का बदला लेने की आग कृष्णा के बड़े बेटे विशाल उर्फ विक्की के सीने में दहक रही थी। और अब आरोप है कि उसने 27 साल बाद राजेंद्र और उनके पूरे परिवार का खात्मा शूटर्स की मदद से करवा दिया। इस हत्या की जांच में पुलिस ने पाया कि राजेंद्र और उनके परिवार की हत्या की गई थी जब वे सो रहे थे। और उनके सिर में गोली मारी गई थी, ठीक वैसे ही जैसे राजेंद्र ने अपने भाई कृष्णा को मारा था। यह हत्या वाराणसी में एक बड़ा मामला बन गया है और पुलिस इसकी जांच में जुटी हुई है।
वाराणसी के शराब कारोबारी परिवार की कहानी: पन्ना साव से राजेंद्र गुप्ता तक
वाराणसी में एक पुराने शराब कारोबारी परिवार की कहानी बहुत ही दिलचस्प है। यह कहानी पन्ना साव से शुरू होती है, जिन्होंने अपने बेटे लक्ष्मी नारायण गुप्ता को भेलूपुर में रिक्शे का गैराज खुलवाया था। लक्ष्मी नारायण ने अपने व्यापार को बढ़ाया और शहर भर में किराए पर रिक्शा देने वाले बन गए। लक्ष्मी नारायण ने दो शादियां कीं और उनके दो बेटे हुए, राजेंद्र गुप्ता और कृष्णा गुप्ता। दोनों बेटे बड़े हुए और लक्ष्मी नारायण ने उन्हें व्यापार में शामिल करने लगे। इस दौरान लक्ष्मी नारायण ने शहर में कई मकान खरीद लिए और उन्हें किराए पर दे दिया। राजेंद्र की शादी हुई और उनका एक बेटा हुआ। कृष्णा की शादी भी हुई और उनके तीन बच्चे हुए, विशाल उर्फ विक्की, प्रशांत उर्फ जुगनू और डॉली। परिवार और कारोबार बढ़ता गया, लेकिन राजेंद्र और कृष्णा के बीच व्यवसाय की हिस्सेदारी को लेकर विवाद शुरू हो गए। यह विवाद आगे चलकर एक बड़े अपराध का कारण बना, जिसकी जांच अभी भी चल रही है। इस कहानी में कई उतार-चढ़ाव हैं और यह वाराणसी के एक पुराने शराब कारोबारी परिवार की कहानी को दर्शाती है।
राजेंद्र गुप्ता की बदले की आग: कैसे एक परिवार का विवाद बन गया खूनी संघर्ष
वाराणसी के शराब कारोबारी परिवार में एक बड़ा विवाद शुरू हुआ जब राजेंद्र गुप्ता ने अपने पिता के कारोबार को अपने तरीके से चलाने की कोशिश की। उसने रिक्शा गैराज पर मनमानी शुरू की, जिससे उसके पिता ने कारोबार का जिम्मा उसके छोटे भाई कृष्णा को दे दिया। राजेंद्र को अपने भाई से रुपये मांगने में परेशानी होने लगी और उसने अपने पिता से झगड़ा कर लिया। उसने कहा कि वह हिसाब खुद संभालेगा और पूरा कारोबार उसके हिसाब से चलेगा। लेकिन उसके पिता ने उसकी बात को नजरअंदाज किया। इसके बाद राजेंद्र ने कई बार धमकी दी कि अगर उसके नाम संपत्ति और कारोबार नहीं किया तो छह महीने में कोई नहीं बचेगा। पहला विवाद 1 जनवरी, 1997 को हुआ, जिसमें राजेंद्र और कृष्णा के बीच मारपीट तक हो गई। इस विवाद के बाद राजेंद्र के अंदर बदला लेने की आग धधकने लगी। उसने अपने छोटे भाई कृष्णा को परिवार समेत मिटाने की ठान ली। यह विवाद आगे चलकर एक बड़े अपराध का कारण बना, जिसकी जांच अभी भी चल रही है।
लक्ष्मी नारायण गुप्ता के घर में हत्याकांड: एक दर्दनाक घटना की कहानी
वाराणसी में शराब कारोबारी परिवार में एक दर्दनाक घटना घटी। राजेंद्र गुप्ता ने अपने छोटे भाई कृष्णा गुप्ता और उनकी पत्नी बबिता की हत्या का मन बना लिया और फिर योजना तैयार की। 10 जून, 1997 को भदैनी स्थित पुश्तैनी मकान में पूरा परिवार सो रहा था। राजेंद्र अपने कमरे से निकला और छत पर पहुंचा। उसने घर में एक देसी पिस्टल रखी हुई थी। जिसे लेकर कृष्णा के कमरे की ओर गया। कमरे का मेन गेट खुला था और अंदर कृष्णा, उसकी पत्नी बबिता अपने बेटे जुगनू के साथ सो रहे थे। राजेंद्र ने सबसे पहले कृष्णा पर गोली चलाई और सिर में पहली गोली मारी। इसके बाद दूसरी गोली सीने पर लगी। आवाज सुनकर जागी बबिता पर दो गोलियां चलाई। पहली गर्दन में दूसरी सीने से फिसलकर पास में लेटे जुगनू को लगी। इसके बाद भी एक गोली जुगनू को मारी। चीख-पुकार के बाद घर की लाइटें जल गईं। राजेंद्र उस वक्त घर से भाग निकला था। गोली की आवाज सुनकर मकान के ग्राउंड फ्लोर पर लेटे लक्ष्मीनारायण और शारदा देवी ऊपर भागे तो कमरे में खून से लथपथ लाशें पड़ी देखीं। तीन साल का जुगनू खून से लथपथ रो रहा था। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने कृष्णा और बबिता को मृत बता दिया। जबकि जुगनू की जान ऑपरेशन से बच पाई। उसकी बॉडी से 2 गोलियां निकाली गईं।
राजेंद्र गुप्ता की हत्या की दूसरी वारदात: पिता और गार्ड की हत्या
राजेंद्र गुप्ता ने अपने भाई कृष्णा और उसकी पत्नी बबिता की हत्या के बाद जेल में 6 महीने तक गुजारे। जमानत पर छूटने के बाद उसने अपने पिता लक्ष्मी नारायण को धमकाना शुरू कर दिया। उसने कहा कि वह जेल से आएगा और पिता को मारेगा। राजेंद्र की धमकी के बाद पिता ने गैराज और अपनी सुरक्षा के लिए गार्ड रखे थे। लेकिन राजेंद्र ने 5 दिसंबर, 1997 को शिवाला गैराज पर पहुंचकर पिता और गार्ड को मार दिया। उसने 9 गोलियां चलाईं और दोनों को मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने कुछ घंटों बाद राजेंद्र की गिरफ्तारी कर ली और उसे जेल भेज दिया। इस केस में भी राजेंद्र के खिलाफ केस दर्ज हुआ और उसे जेल में रखा गया। लेकिन राजेंद्र की मां शारदा देवी ने बाद में अपने बयान बदल दिए और राजेंद्र को फायदा मिल गया।
राजेंद्र गुप्ता की हत्या के मामले में मां की भूमिका: कैसे बदल गए शारदा देवी के बयान
राजेंद्र गुप्ता ने 1997 में अपने भाई कृष्णा और उसकी पत्नी बबिता की हत्या की थी। इसके बाद पिता लक्ष्मी नारायण ने पुलिस को तहरीर दी और मां शारदा देवी ने गवाह बनकर केस की पैरवी की। लेकिन जब राजेंद्र ने पिता लक्ष्मी नारायण की हत्या की तो शारदा देवी ने बड़े बेटे राजेंद्र के खिलाफ केस दर्ज कराया। लेकिन बाद में शारदा देवी ने अपने बयान बदल दिए और राजेंद्र को फायदा मिल गया। रिश्तेदारों के समझाने पर शारदा देवी केस में बयान से मुकर गईं और राजेंद्र को जमानत मिल गई। इसके बाद राजेंद्र को संदेह का लाभ मिल गया और दोनों केस बंद हो गए। जुलाई, 1999 में राजेंद्र पैरोल पर छूटकर जेल से बाहर आया और उसने अपना ठिकाना शिवाला में बना लिया। शराब ठेका और प्रॉपर्टी के कारोबार पिता लक्ष्मी नारायण के मरने पर राजेंद्र ने संभाल लिया। राजेंद्र का परिवार उसके साथ रहता था, लेकिन जेल जाने के बाद पत्नी अपने मायके चली गई और फिर कई बार बुलाने पर नहीं आई।
राजेंद्र गुप्ता की नई जिंदगी: नीतू पांडे से लव मैरिज
1998 में मऊ जिले के दोहरीघाट की रहने वाली नीतू पांडे ने वाराणसी के बसंत कॉलेज में एडमिशन लिया। वहीं एक दोस्त के जरिए उमाशंकर ने परिवार के लिए कमरा किराए पर लिया, जो शिवाला में राजेंद्र गुप्ता का था। 15 अगस्त, 1999 में राजेंद्र और नीतू की मुलाकात हुई और जल्द ही दोनों के बीच लव अफेयर शुरू हो गया। परिजनों को जब इसकी जानकारी हुई तो विरोध शुरू हो गया, लेकिन दोनों ने सहेलियों के जरिए चिट्ठियां भेजनी शुरू कीं और मौका लगते मिल लेते थे। 17 जनवरी, 2000 में राजेंद्र और नीतू ने लव मैरिज कर ली। नीतू के परिवार ने उससे नाता तोड़ लिया और वह भदैनी में आकर रहने लगी। नीतू ने कृष्णा गुप्ता के बच्चों का भी ध्यान रखना शुरू किया और वे उसे अपनी सगी मां की तरह चाहने लगे।
वाराणसी में करोड़पति शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता के परिवार की हत्या का मामला अब नये मोड़ पर पहुंच गया है। पहले यह माना जा रहा था कि राजेंद्र ने अपने परिवार की हत्या कर खुद भी आत्महत्या कर ली, लेकिन पुलिस जांच में इसके उलट तथ्य सामने आए हैं। पुलिस ने राजेंद्र के भतीजे जुगनू को हिरासत में लिया है और 20 मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर रखा है। जांच में यह बात सामने आई है कि परिवार के 5 सदस्यों की हत्या शूटर्स ने की है। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि किसने यह हत्या करवाई।

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