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Tuesday, June 24, 2025

इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग में तय होगी 21वीं सदी की समुद्री रणनीति

भारतीय नौसेना का शीर्ष अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (आईपीआरडी) बुधवार 27 अक्टूबर से शुरू होगा। तीन दिवसीय ऑनलाइन होने वाले इस सम्मेलन में समुद्री चुनौतियों पर चर्चा करके उनका समाधान करने पर मंथन किया जाना है। पहली बार 2018 में आयोजित इस रीजनल डायलॉग का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक के भीतर उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की समीक्षा करना है। सत्र शुरू होने से पहले रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री संबोधित करेंगे।

अवसरों और चुनौतियों की होगी समीक्षा

इस वार्षिक आयोजन के प्रत्येक संस्करण का भागीदार और मुख्य आयोजक नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन है, जिसमें सामरिक स्तर पर भारतीय नौसेना की भागीदारी प्रमुख है। आईपीआरडी के प्रत्येक क्रमिक संस्करण का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक के भीतर उत्पन्न होने वाले अवसरों और चुनौतियों दोनों की समीक्षा करना है। 2018 में हुए इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग में समुद्री चुनौतियों के रूप में समुद्री व्यापार, क्षेत्रीय संपर्क, लगातार समुद्री निगरानी, समुद्री का बढ़ता डिजिटलीकरण और समग्र समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में उद्योग की भूमिका पर चर्चा की गई थी।

आईपीआरडी के 2019 में हुए संस्करण में समुद्री संपर्क के माध्यम से क्षेत्र में सामंजस्य प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक समाधान, स्वतंत्र और खुला इंडो-पैसिफिक प्राप्त करने और बनाए रखने के उपाय, नीली अर्थव्यवस्था के लिए एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण की जांच करना, समुद्री-उद्योग 4.0 से अवसर और सागर और सागरमाला से उत्पन्न होने वाले क्षेत्रीय अवसर के मुद्दों पर चर्चा हुई थी। अब 27, 28 और 29 अक्टूबर को तीन दिवसीय ऑनलाइन होने वाले शीर्ष अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन में 21वीं सदी के दौरान समुद्री रणनीति में विकास: अनिवार्यता’ के व्यापक विषय पर चर्चा की जानी है।

आठ सत्रों में आयोजित होगा सत्र

नौसेना प्रवक्ता के अनुसार इसमें आठ विशिष्ट उप-विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिससे चुनौतियों का मुकाबला करके आगे का रास्ता तय किया जा सके। इन मुद्दों पर लगातार तीन दिनों में आठ सत्रों में पैनल-चर्चा होगी, जिससे विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करने की पर्याप्त गुंजाइश होगी। इसका उद्देश्य विचारों और विचारों के मुक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करना है। इनमें आठ बिंदु प्रमुख हैं:-

1. इंडो-पैसिफिक के भीतर विकसित समुद्री रणनीतियां: अभिसरण, विचलन, अपेक्षाएं और आशंकाएं

2. समुद्री सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए अनुकूल रणनीति

3. बंदरगाह के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय समुद्री संपर्क और विकास रणनीति

4. सहकारी समुद्री डोमेन में जागरुकता और रणनीति

5. नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम ऑर्डर पर कानून के बढ़ते सहारा का प्रभाव

6. क्षेत्रीय सार्वजनिक-निजी समुद्री भागीदारी को बढ़ावा देने की रणनीति

7. ऊर्जा-असुरक्षा और शमन रणनीति

8. समुद्र में मानव-मानव रहित गोरखधंधा रोकने की रणनीति

इस सत्र शुरू होने से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। इस वार्षिक संवाद के माध्यम से भारतीय नौसेना और राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन भारत-प्रशांत के समुद्री क्षेत्र को प्रभावित करने वाले भू-राजनीतिक विकास से संबंधित मुद्दों पर एक मंच पर आकर गहन चर्चा करते हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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