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Sunday, July 20, 2025

इंदौर की स्वच्छता का जादू अब काशी में: मेयर के साथ अगस्त में दौरा, गंगा-वरुणा को चमकाने की तैयारी

वाराणसी, 19 जुलाई 2025: स्वच्छता के मामले में देश का सिरमौर इंदौर अब काशी को भी निखारने की राह पर है। भारत की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी को स्वच्छता की ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए इंदौर की तर्ज पर एक नया मॉडल तैयार हो रहा है। अगस्त में वाराणसी के मेयर अशोक कुमार तिवारी और नगर आयुक्त अक्षत वर्मा सहित तीन अफसरों की टीम इंदौर का दौरा करेगी। यह पहल न केवल दो शहरों के बीच सहयोग की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि इंदौर की स्वच्छता का जादू अब अन्य शहरों को भी प्रेरित कर रहा है।

इंदौर की स्वच्छता का जादू

इंदौर लगातार कई वर्षों से स्वच्छ भारत अभियान में नंबर-1 का तमगा हासिल कर चुका है। वहां की सड़कों पर बिखरा कचरा नहीं, बल्कि व्यवस्थित सफाई और जागरूक नागरिकों का समन्वय दिखता है। इंदौर में कचरे का शत-प्रतिशत सेग्रिगेशन (गीला, सूखा, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक आदि) और डस्टबिन-मुक्त शहर की अवधारणा ने इसे अनूठा बनाया है। दूसरी ओर, वाराणसी में अभी कचरे का सेग्रिगेशन शून्य है, और हर चौराहे पर डस्टबिन की मौजूदगी सफाई व्यवस्था को जटिल बनाती है। इंदौर की यह विशेषज्ञता अब काशी को नया रूप देगी।

पिछले सप्ताह इंदौर के अधिकारियों की एक टीम ने वाराणसी की गलियों, घाटों, चौराहों और प्रमुख सड़कों का दौरा किया। उन्होंने वहां के संसाधनों का जायजा लिया और एक तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट में काशी की चुनौतियों और इंदौर की ताकत को रेखांकित किया गया है। अब इंदौर की टीम वाराणसी के अधिकारियों को प्रशिक्षित करेगी, ताकि काशी भी स्वच्छता रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच सके।

काशी की चुनौतियां, इंदौर का समाधान

वाराणसी की गलियां संकरी हैं, घाटों की संरचना जटिल है, और वरुणा व अस्सी नदियां प्रदूषण और अतिक्रमण की शिकार हैं। इंदौर में ऐसी भौगोलिक चुनौतियां नहीं हैं, लेकिन वहां की व्यवस्था काशी के लिए प्रेरणा बन सकती है। इंदौर की टीम काशी को यह सिखाएगी कि कैसे हर घर से कचरा अलग-अलग एकत्र किया जाए और उसे प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचाया जाए। इसके लिए नागरिकों को जागरूक करना और कचरा सेग्रिगेशन न करने वालों पर जुर्माना लगाना भी प्रस्तावित है।

इंदौर में 27 अल्ट्रा-मॉडर्न स्वीपर मशीनें हैं, जबकि वाराणसी के पास सिर्फ एक। इंदौर में 7500 सफाई मित्र हैं, तो काशी में 3500। इंदौर की सलाह है कि काशी में सफाई मित्रों और अधिकारियों की संख्या बढ़ाई जाए। साथ ही, कचरा ट्रांसफर स्टेशन और प्रोसेसिंग प्लांट की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

गंगा, वरुणा और अस्सी की स्वच्छता

इंदौर ने न केवल स्वच्छता, बल्कि वाटर प्लस श्रेणी में भी अपनी पहचान बनाई है। अब काशी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है गंगा को प्रदूषण-मुक्त रखना और वरुणा व अस्सी नदियों को पुनर्जनन देना। ये नदियां अतिक्रमण और प्रदूषण के कारण नाले में तब्दील हो चुकी हैं। इंदौर की टीम इन नदियों को साफ करने और काशी को वाटर प्लस श्रेणी में लाने के लिए रणनीति बनाएगी।

पहली बार इंदौर की जिम्मेदारी

यह पहली बार है जब इंदौर को किसी अन्य शहर की स्वच्छता व्यवस्था को संवारने की जिम्मेदारी मिली है। देशभर से कई नगर निगम और पालिकाएं इंदौर का मॉडल देखने आ चुकी हैं, लेकिन काशी के साथ यह सहयोग एक नया अध्याय है। मेयर अशोक तिवारी ने कहा, “हम इंदौर से सीखेंगे कि उनकी सुविधाएं और संसाधन क्या हैं। हमारी कमियों को दूर करेंगे और स्वच्छता रैंकिंग में काशी को ऊपर ले जाएंगे।”

काशी में बदलाव की रूपरेखा

इंदौर की तर्ज पर काशी में कई बदलाव प्रस्तावित हैं:

  • कचरे का सेग्रिगेशन: गीला, सूखा, कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक कचरा
  • डस्टबिन-मुक्त शहर: काशी में चौराहों पर मौजूद डस्टबिन हटाए जाएंगे, और दुकानों व संस्थानों को कचरा प्रबंधन की जिम्मेदारी दी जाएगी।
  • आधुनिक उपकरण: स्वीपर मशीनों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
  • जागरूकता और जुर्माना: नागरिकों को कचरा अलग करने के लिए जागरूक किया जाएगा, और नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना लगेगा।
  • संसाधनों का विस्तार: कचरा ट्रांसफर स्टेशन, प्रोसेसिंग प्लांट, और यूरिनल की संख्या बढ़ाई जाएगी (40 से 300 तक)।
  • प्रशिक्षण और वित्तीय शक्ति: नगर निगम के अधिकारियों को प्रशिक्षण और कमिश्नर की वित्तीय शक्तियों में वृद्धि की जाएगी।

चुनौतियां और समाधान

काशी में कई चुनौतियां हैं, जैसे गंगा में बहने वाले ड्रेन, गलियों में घूमने वाले सांड, और संसाधनों की कमी। इंदौर की टीम इन समस्याओं के लिए व्यावहारिक समाधान सुझाएगी, जैसे ड्रेन को रोकने के लिए नई तकनीक और सांडों के लिए विशेष उपाय।

एक नई शुरुआत

यह सहयोग न केवल काशी की स्वच्छता को नया आयाम देगा, बल्कि देश के अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणा बनेगा। इंदौर का मॉडल और काशी की सांस्कृतिक विरासत का यह संगम स्वच्छ भारत के सपने को और मजबूत करेगा। अगस्त का यह दौरा काशी के स्वच्छ भविष्य की नींव रखेगा, जिसमें गंगा, वरुणा, और अस्सी की निर्मलता के साथ-साथ शहर की गलियां भी चमकेंगी।

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