N/A
Total Visitor
34.6 C
Delhi
Thursday, June 19, 2025

झूठ होगा ‘बेपर्दा’… संभल दंगा मामला: 1978 के दंगों की फाइलें खुलीं, सपा नेताओं की भूमिका पर उठे सवाल

लखनऊ, 19 जनवरी 2025, रविवार। 1978 में, जब भारत मोरारजी सरकार के नोटबंदी के झटकों से जूझ रहा था, उसी समय उत्तर प्रदेश के संभल में सांप्रदायिक दंगों का एक बड़ा तूफान आया। यह विवाद शुरू में सांप्रदायिक तनाव के रूप में शुरू हुआ, लेकिन जल्द ही यह क्षेत्र के सबसे विनाशकारी दंगों में से एक में बदल गया। इस दंगे में 184 लोग मारे गए, जिनमें से 180 हिंदू थे। 1978 के दंगों ने संभल की जनसांख्यिकी को हमेशा के लिए बदल दिया। यह दंगा न केवल एक बड़ी मानवीय त्रासदी थी, बल्कि यह एक ऐसी घटना भी थी जिसने क्षेत्र के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को भी बदल दिया। वहीं, उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों के मामले में एक नया मोड़ आया है। 1993 में सपा सरकार ने इन दंगों से जुड़े आठ मुकदमे वापस ले लिए थे, लेकिन अब मुरादाबाद में इन मामलों की फाइलें खंगाली जा रही हैं। न्यायालय के पुराने रिकॉर्ड तलाशने पर अब तक 10 मामलों की फाइलें मिल चुकी हैं, लेकिन हत्या से जुड़े मूल मामले की फाइल अभी तक नहीं मिल पाई है।
इन फाइलों की जांच से पता चला है कि कई मामलों में जांच अधिकारियों के बयान तक नहीं लिए गए और एक तरफा बयानों के आधार पर रिपोर्ट लगाकर केस बंद कर दिए गए थे। सूत्रों के मुताबिक, फाइलों में 1978 के दंगे का रिकॉर्ड 1983 तक मिलता है, लेकिन उसके बाद का रिकॉर्ड अभी तक नहीं मिल पाया है। रिकॉर्ड खंगालने से पता चला है कि दंगों के सारे गवाह होस्टाइल हो गए थे। इस मामले में सपा नेता आजम खान और पूर्व सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है। यह मामला अब फिर से चर्चा में आया है और इसकी जांच की मांग की जा रही है।
संभल दंगा मामला: 44 साल बाद खुलेगा रहस्य, जांच की मांग तेज
23 दिसम्बर 1993 को उत्तर प्रदेश शासन के न्याय विभाग के विशेष सचिव आरडी शुक्ला ने मुरादाबाद के जिला अधिकारी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने संभल नगर में 30 मार्च 1978 को हुए दंगे से संबंधित 16 मुकदमों में से 8 मुकदमों को शासन द्वारा वापस लेने के निर्णय की जानकारी दी थी। यह निर्णय योगी सरकार को खटक गया है।
संभल में 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों के दो गवाहों और चार आरोपियों के अभी भी जीवित होने की जानकारी मिली है, जिनकी खोजबीन की जा रही है। उस समय संभल मुरादाबाद जनपद का हिस्सा था। मार्च 1978 में संभल में सांप्रदायिक दंगा भड़का था, जिसमें कई लोगों की हत्या हुई थी। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की ओर से कई प्राथमिकी दर्ज कराई गई थीं, लेकिन कोई भी मुकदमा सजा तक नहीं पहुंचा और गवाह भी मुकर गए थे। दंगों के बाद कई पीड़ित परिवार और गवाह संभल छोड़कर अन्य शहरों में पलायन कर गए थे, जिनकी जानकारी जुटाई जा रही है।
संभल दंगा मामला: 44 साल पुरानी फाइलें खुलीं, योगी सरकार के आदेश पर होगी दोबारा जांच
उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच फिर से शुरू हो सकती है। योगी सरकार ने इस मामले की फाइलें खोजने का आदेश दिया है, और मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने बताया है कि 1978 के दंगों से जुड़े तथ्यों की खोजबीन लगातार जारी है। अब तक 10 मुकदमों की फाइलें मिल चुकी हैं, जिनमें राज्य बनाम रिजवान, राज्य बनाम मुनाजिर और राज्य बनाम वाजिद आदि केस की फाइलें शामिल हैं। इन मामलों में धारा 147, 148, 149, 395, 397, 436 और 307 आईपीसी की धाराओं में केस दर्ज हुए थे। कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि सरकार इस मामले में जो भी दिशा निर्देश देगी, उसके मुताबिक आगे की कार्यवाही की जाएगी। यह मामला अब फिर से चर्चा में आया है और इसकी जांच की मांग की जा रही है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »