वाराणसी, 11 मार्च 2025, मंगलवार। भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली वाराणसी के सारनाथ में स्थित ऐतिहासिक बोधि वृक्ष (पीपल) का महत्व बौद्ध धर्म में बहुत अधिक है। यह वही स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों को शांति उपदेश दिया था। इस वृक्ष की शाखा से ही सम्राट अशोक की पुत्री संघमित्रा ने श्रीलंका में बोधि वृक्ष लगाया था।
अब, जापान में भी पहली बार बोधि वृक्ष लगाया जाएगा। जापान के पांच लोगों ने वन विभाग की मदद से पांच बोधि वृक्ष लिए हैं। यह वृक्ष न केवल बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वृक्ष विरासत वृक्ष भी घोषित किया गया है।
बोधि वृक्ष का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने इस वृक्ष के नीचे ही छह साल तक तपस्या की थी। एक दिन, उन्होंने छठे वर्ष में पूर्णिमा के दिन ज्ञान प्राप्त किया। तब से, बोधि वृक्ष बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र प्रतीक बन गया है।
बोधि वृक्ष की पूजा का भी बहुत महत्व है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन सभी श्रद्धालु शांति, प्रेम, ध्यान और मेधा से इस वृक्ष के पास जाकर बैठकर ध्यान केंद्रित करते हैं। बोधि वृक्ष की पूजा के लिए दीप, पुष्प, फल, नीरजन, धन्य आदि सामग्रियों का उपयोग पूजा में किया जाता है।