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Wednesday, December 18, 2024

आतंक के साथी होंगे बेघर! एलजी मनोज सिन्हा का बड़ा एक्शन, दो अफसरों को किया बर्खास्त!

श्रीनगर, 29 नवंबर 2024, शुक्रवार। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादी संगठनों से संबंधों के आरोप में दो सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इनमें से एक शिक्षक और दूसरा फार्मासिस्ट था। खुफिया एजेंसी की जांच में पता चला कि इन दोनों के आतंकी समूह हिज्बुल मुजाहिदीन से कथित संबंध थे।

बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में से एक अब्दुल रहमान नाइका है, जो देवसर के कुलगाम में रहता था। उसे 1992 में मेडिकल असिस्टेंट के रूप में काम करता था। खुफिया एजेंसी की जांच से खुलासा हुआ कि उसके संबंध हिजबुल मुजाहिदीन से हैं। यह खुलासा 2021 में राष्ट्रवादी नेता गुलाम हसन लोन की हत्या की जांच के दौरान हुआ। इसी मामले की जांच में पता चला कि नाइका ने ही इस हत्या की साजिश रचने में मुख्य भूमिका निभाई थी।
अब्दुल रहमान नाइका ने कुलगाम और आसपास के जिलों में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुलिस ने नाइका और उसके सहयोगियों को ग्रेनेड और AK-47 गोला-बारूद के साथ गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान, नाइका ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान के कुछ हैंडलर्स ने उसे कुलगाम में सुरक्षा बलों और राजनीतिक व्यक्तियों पर हमला करने का निर्देश दिया था। उसने यह भी बताया कि वह ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में टारगेट की रेकी और आतंकियों को सुरक्षित भगाने में मदद करता था।
किश्तवाड़ के बधत सरूर का रहने वाला जाहिर अब्बास 2012 में शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन उसकी असली पहचान एक कट्टर ओवरग्राउंड वर्कर की थी। उसे सितंबर 2020 में तीन सक्रिय हिजबुल आतंकियों को पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और वह वर्तमान में जम्मू के कोट भलवाल जेल में बंद है। जांच में पता चला कि जाहिर अब्बास हिजबुल मुजाहिदीन को हथियार, गोला-बारूद की सप्लाई करता था।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दो सरकारी कर्मचारियों को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इस कदम के बाद, एलजी ने कहा कि यह पाकिस्तान और पाक-आधारित आतंकवादी संगठनों के भारत के भीतर गहरे नेटवर्क का पर्दाफाश करता है। एलजी ने आगे कहा कि इन कर्मचारियों द्वारा देश की सुरक्षा से समझौता करने और भारतीय करदाताओं का पैसा आतंकवादी गतिविधियों में लगाने के मामले से यह साबित होता है कि आतंकवादी संगठन किस तरह से भारत के सरकारी तंत्र में घुसपैठ कर रहे हैं।

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