N/A
Total Visitor
29.6 C
Delhi
Tuesday, July 1, 2025

प्लास्टिक का छिपा खतरा: डाई(2-एथिलहेक्सिल) थैलेट्स से दिल की बीमारी और लाखों मौतें

नई दिल्ली, 15 मई 2025, गुरुवार। अपने आसपास एक नजर डालिए। कहीं न कहीं आपको प्लास्टिक का कोई सामान जरूर दिखेगा—चाहे वह पॉलीथिन हो, डिब्बा, बच्चों का खिलौना, या फिर कोई सुगंध की बोतल। इन प्लास्टिक की चीजों में एक खास रसायन छिपा होता है, जिसका नाम है थैलेट्स। इसे ‘हर जगह मौजूद रसायन’ भी कहते हैं, क्योंकि यह लगभग हर प्लास्टिक के सामान में पाया जाता है।

थैलेट्स परिवार का एक खतरनाक सदस्य है ‘डाई(2-एथिलहेक्सिल) थैलेट्स’। क्या आप जानते हैं कि यही ‘डाई(2-एथिलहेक्सिल) थैलेट्स’ दुनिया भर में दिल की बीमारियों से होने वाली 13% से ज्यादा मौतों का जिम्मेदार है? साल 2018 में इस रसायन की वजह से 3.5 लाख से अधिक लोग दिल की बीमारी के चलते दुनिया छोड़ गए। इनमें सबसे ज्यादा शिकार 55 से 64 साल की उम्र के लोग बने। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 1.3 लाख से ज्यादा मौतें अकेले भारत में हुईं।

यह खुलासा न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ‘द लैंसेट ग्रुप’ की एक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में किया। शोध बताता है कि दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया, प्रशांत क्षेत्र और मध्य पूर्व इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ‘डाई(2-एथिलहेक्सिल) थैलेट्स’ से होने वाली कुल मौतों में 75% इन्हीं क्षेत्रों में दर्ज की गईं। देशों की बात करें तो भारत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, जहां 1.03 लाख से अधिक मौतें हुईं। इसके बाद चीन (61,000 मौतें) और इंडोनेशिया (19,500 से ज्यादा मौतें) का नंबर आता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इन देशों में प्लास्टिक का उत्पादन तो बहुत होता है, लेकिन रसायन सुरक्षा से जुड़े नियम बेहद कमजोर हैं। यह शोध सिर्फ ‘डाई(2-एथिलहेक्सिल) थैलेट्स’ और एक खास आयु वर्ग पर केंद्रित था, इसलिए हो सकता है कि प्लास्टिक के रसायनों से होने वाली मौतों की वास्तविक संख्या इससे भी ज्यादा हो।

आखिर यह ‘डाई(2-एथिलहेक्सिल) थैलेट्स’ हमारे शरीर में पहुंचता कैसे है, और यह इतना खतरनाक क्यों है? फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में वयस्क हृदय रोग विभाग के प्रमुख डॉ. विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि ‘डाई(2-एथिलहेक्सिल) थैलेट्स’ छोटे-छोटे कणों में टूटकर हमारे शरीर में प्रवेश करता है। यह खाने, पानी, त्वचा, या सांस के जरिए अंदर जा सकता है। इतना ही नहीं, यह खून चढ़ाने या डायलिसिस जैसी चिकित्सा प्रक्रियाओं के दौरान भी शरीर में पहुंच सकता है, क्योंकि कई चिकित्सा उपकरणों में भी ‘डाई(2-एथिलहेक्सिल) थैलेट्स’ मौजूद होता है।

शरीर में पहुंचने पर यह दिल की धमनियों में सूजन पैदा करता है। लंबे समय तक यह सूजन बनी रहे तो हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन खतरा सिर्फ दिल तक सीमित नहीं है। थैलेट्स के संपर्क से हार्मोन असंतुलन, मधुमेह, मोटापा, प्रजनन संबंधी समस्याएं, और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।

तो क्या करें? डॉ. विवेक सलाह देते हैं कि प्लास्टिक का इस्तेमाल जितना हो सके कम करें। प्लास्टिक के डिब्बों में खाना रखने से बचें। इसके बजाय कांच, स्टील, मिट्टी या लकड़ी के बर्तनों का उपयोग करें। वह कहते हैं कि यह एक गंभीर मुद्दा है, और इस पर और गहन शोध की जरूरत है।
आज से ही सजग हो जाइए। अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए प्लास्टिक से दूरी बनाएं, क्योंकि यह ‘हर जगह मौजूद रसायन’ आपकी जिंदगी पर भारी पड़ सकता है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »